जैसा की आये दिन छोटी मोटी बँक नुकसान करति नजर आती हे और कही बैंक घोटाले या NPA मे फसी हुई भी दिखती हे वैसे मे हर आम इंसान के दिमाग मे एक प्रश् जरूर होता हे की उसने बैंक मे रखे हुए पैसे सही सलामत हे या नही. कुछ वक्त पहले प्रधानमंत्रीने कहा था कि एक लाख से अधिक जमा कर्ताओं को 1300 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। यह पैसा उन्हें दिया गया है जो कि अपने पैसे का उपयोग नहीं कर पा सके क्योंकि उन्हें बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। ऐसे ही तीन लाख और जमाकर्ताओं को उनके अकाउंट में फंसे पैसे दिलाने का काम लगभग शुरू हो चुका है।
पीएम ने कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट के तहत 76 लाख करोड रुपए की जमा राशि का बीमा किया गया है जो कि लगभग 98% बैंक खातों को फूल कवरेज देता है। केंद्र ने अगस्त में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन में एक नया संशोधन पारित किया था। यह संशोधन इसलिए था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मोरटोरियम के तहत आने वाले बैंक के खाता होल्डर्स को 90 दिनों के अंदर अपनी जमा राशि प्राप्त हो.
लक्ष्मी विलास बैंक, पंजाब एंड महाराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक और यस बैंक जैसे हाल के मामलों में जमा कर्ताओं के लिए बैंकों में जमा अपने ही पैसों का इस्तेमाल करने में परेशानी हुई। जिसने जमा बीमा के विषय पर ध्यान खींचा इसके बाद सरकार ने इसी साल अगस्त में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए। इन बदलाव के तहत यदि किसी बैंक में से निकासी पर आरबीआई प्रतिबंध लगाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के अंदर 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्राप्त करने का हक दिया गया हैं।
बैंक के मोरटोरियम के अंदर आने के बाद DICGC पहले 45 दिनों में डिपॉजिट अकाउंट की सारी जानकारी एकत्र करता था उसके बाद के 45 दिनों में इकट्ठा की गई जानकारी को वेरिफाई करता हैं और 90 दिनों के अंदर ही जमा कर्ताओं का पैसा वापस देता है। पहले खाताधारकों को अपनी जमा राशि प्राप्त करने के लिए 1 वर्ष तक इंतजार करना पड़ता था। जब तक कि बैंक का पुनर्गठन या उसके पास पैसे का पूरा लिक्विडेशन नहीं हो जाता खाताधारकों को इंतजार करना होता था।
पिछले साल सरकार ने बीमा राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया था।अगर बैंक में आप की जमा राशि 5 लाख रुपये से ज्यादा भारत में यदि कोई बैंक समस्या से गिरता है तो उसमें जमा करने वाले लोग अधिकतम 5 लाख रुपये तक का ही वापस पा सकते हैं क्योंकि इतनी ही राशि का बीमा डीआईसीजीसी की तरफ से दिया जाता है। 5 लाख से अधिक जमा राशि वालो के पास बैंक लूटने की स्थिति में धन वसूली के लिए कोई कानूनी सहारा नहीं है।