ओडिशा के संबलपुर की रहने वाली 74 वर्षीय संतोषिनी मिश्रा मामा यानी दादीमां के नाम से प्रसिद्ध संतोषनी मिश्रा की केंटरिंग सर्विस के लोग दीवाने हैं। शहर में किसी तरह का कोई भी कार्यक्रम हो, चाहे शादी हो, जन्मदिन हो या फिर तेरहंवी हो, खाना इन्हीं की केटरिंग एजेंसी से बनवाया जाता है। कई बार तो इनके पास ईतने ऑर्डर हो जाते है के उन्हें मना करना पड़ता है।
पति को दिल की बीमारी का पता चलने पर उनके कंधों पर घर चलाने की जिम्मेदारी भी आ गई थी. इस तरह से 38 साल की उम्र में उन्होंनें एक छोटी-सी केटरिंग की टीम तैयार की है और शादियों के ऑर्डर लेने लगीं। शुरुआती दिक्कतों के बाद आज वह उस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि उन्हें पीछे मुड़ कर देखने की ज़रूरत नहीं है।
संतोषी जी ने बहुत महेनत करके अपने पेशे में सफलता हासिल की है, लेकिन आज समाज को यह सब स्वीकारने में परेशानी होती है। कोई अपनी बेटी हमें नहीं देना चाहता है। लोगों का मानना है कि जहां महिला केटरिंग का काम करती है वहां अपनी बेटी नहीं दे सकते हैं। लेकिन इन बातों से उन्हें फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उनके बच्चों की शिक्षा और परिवार चलाने के लिए यह कदम ज़रूरी था।
संतोषी के बेटे अब उन्हें आराम करने को कहते है लेकिन संतोषी का मानना है के जब तक इंसान के हाथ पैर चल रहे हो तब तक उसे काम करते रहना चाहिये। संतोषी बताती है के मुझे इस काम में बहुत मजा आता है। मुझे अच्छा लगता है जब लोग उन्हें आकर कहते है आपने बहुत अच्छा खाना बनाया है। मेरे हाथ का बना खाना खाने के बाद लोगो के चहेरो पे जो मुस्कान आती है वही मुज में एक ऊर्जा पैदा करती है।