भारत का पडोसी देश श्रीलंका अपने गोल्ड रिजर्व बेचने के कारन सुर्खियों में हैं। श्रीलंका अपने देश को दिवालिया होनेसे बचाने के लिए भंडार बेच रहा है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserve ) लगभग खत्म हो चुका है जिससे आयात पर बुरा असर हुआ है। ऐसे में श्रीलंका सोना बेचकर विदेशी मुद्रा का इंतजाम कर रहा है।श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने खत्म होते विदेशी मुद्रा के भंडार को देखते हुए अपने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा बेच दिया है।
अनुमान है कि श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पास 2021 की शुरुआत में 6.69 टन सोने का भंडार था जिसमें से लगभग 3.6 टन सोना बेचा गया है। जिससे उसके पास लगभग जिससे उसके पास लगभग 3.0 से 3.1 टन सोना ही रह गया है। 2020 में भी केंद्रीय बैंक ने सोना बेचा था। साल की शुरुआत में श्रीलंका के पास 19.6 टन सोने का भंडार था जिसमें से 12.3 टन सोना बेच दिया गया। श्रीलंका नेश्रीलंका ने साल 2015, 2018 और 2019 में भी सोना बेचा था।
श्रीलंकाई गवर्नर कैब्राल ने कहा कि ‘जब विदेशी भंडार कम होता है तो हम सोने की होल्डिंग को कम करते हैं। जब विदेशी भंडार बढ़ रहा था तो हमने सोना खरीदा। एक बार जब रिजर्व स्तर स्तर 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बढ़ जाएगा तो केंद्रीय बैंक सोने की होल्डिंग बढ़ाने पर विचार करेगा।’
डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने सोना बेचने की घटना में श्रीलंका की स्थिति की तुलना भारत से करते हुए कहा की सोना एक रिजर्व है जिसे किसी देश को डिफ़ॉल्ट के कगार पर होने पर अंतिम उपाय के रूप में उपयोग करना होता है। इसलिए जब कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध न हो तो सोने की बिक्री संयम से की जानी चाहिए। भारत ने भी 1991 में अपना सोना गिरवी रखा था। ‘