सरकार बेचने जा रही है 6 लाख करोड़ की संपत्तिया ? जाने क्या क्या बेचने जाने वाले है

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को खुलासा किया कि केंद्र सरकार केवल उन संपत्तियों को बेच है जो पिछले बहोत समय से नुकसान में चल रहा है। इसका मतलब यह साफ होता है कि सरकार निवेश के बावजूद कम इस्तेमाल होने वाली संपत्तियों का निजीकरण करेगी। ऐसी संपत्तियों के निजीकरण के संबंध में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि संपत्ति का अधिकार सरकार के पास रहेगा और संपत्ति निजी क्षेत्र के भागीदारों द्वारा तय समय के बाद निश्चित रूप से वापस कर दी जाएगी।इस बात की जानकारी निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का शुभारंभ करते हुए दी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ दिन पहले खुलासा किया है के सरकार कोई जमीन नहीं बेच रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन में ब्राउनफील्ड संपत्ति की बात हो रही है, जिसे अब उचित रूप से मुद्रीकृत करने की आवश्यकता है। ये ऐसी संपत्तियां हैं जिनमें पहले निवेश किया जा चुका है लेकिन इन सम्पतियो से सरकार को अभी तक कुछ मिला नहीं यह संपत्तियां बहोत समय से नुकसान में चल रही है। हम निजी भागीदारों की मदद से इन संपत्तियों का उचित मुद्रीकरण कर रहे हैं। मुद्रीकरण से जुटाए गए संसाधनों को बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक 6 लाख करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति बेची जा सकती है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन में सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवास और शहरी मामले शामिल हैं।

इससे पहले, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि संपत्ति सरकार के पास रहेगी, निजी क्षेत्र निर्धारित समय के बाद सरकार को संपत्ति सौंप देगा। उन्होंने कहा कि 2025 तक राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा योजना का 14 फीसदी हिस्सा सड़कों, रेलवे और बिजली से आएगा। 26 फीसदी रेलवे से आएगा। रेलवे स्टेशन, 15 रेलवे स्टेडियम, ट्रेन, माउंटेन ट्रेन आदि का निजीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही नौ प्रमुख बंदरगाहों को शिपिंग में बेचा जाएगा। दो राष्ट्रीय स्टेडियम भी सूची में हैं। अगले चार साल वार्षिक लक्ष्य और रियल टाइम मॉनिटरिंग होंगे। जिसकी मासिक आधार पर और तिमाही आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समीक्षा की जाएगी ताकि निजी क्षेत्र इसे व्यवस्थित तरीके से संभाल सके।

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