कडी महेनत करने वालो को कामियाबी से कोई नही रोक पाता इसी बात को सार्थक किया हे UP के सिद्धार्थ ने. सिद्धार्थ ने खेती के साथ साथ पशुपालन देश्टीनेशन सेंटर जैसे कही प्रयोगो से लोगो को एक नयी उम्मीद दी हे साथ ही वह लाखो मे कमाई कर रहे हे. सिद्धार्थ एक फार्मर ही नहीं हे मगर साथ ही MBA में गोल्ड मेडल मिला हे और एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी भी कर रहे थे। उनकी जिंदगी पटरी पे चल रही थी, उनका परिवार भी उनकी कामियाबी से बेहद खुश था, अच्छी खासी सैलरी और वेल सेटल्ड लाइफ थी मगर सिद्धार्थ को इससे सन्तुस्टि नही थी या वो कुछ अलग करना चाहते थे.
नौकरी छोड शरू की खेती और पशुपालन, उठाया गोबर
उन्होने करीब 4 से 5 साल नौकरी की और बाद मे नौकरी छोड गांव लौट आए। जब गांव आये तो उनको कही तानो का सामना करना पड़ा की कही इसे नौकरी से निकल तो नहीं दिया! मगर उन्होंने ऐसी अफवाहों पे ध्यान नहीं दिया उन्होंने अपनी बंजर पडी जमीन पर तालाब खुदवाया और दो, चार गाय पाल लीं। जब वह गाय का गोबर उठाते तो गांव में लोग मजाक बनाते, उनके परिवार ने भी विरोध किया कि गोल्ड मेडलिस्ट बेटा गोबर उठाये ये हमसे देखा नही जाता तुम वापस शहर चले जाओ मगर सिद्धार्थ का विजन कुछ अलग ही था।
दूध की प्रोडक्ट्स, आर्गेनिक फार्मिग, मछली और बतक पालन
जहा सिद्धार्थ ने तालाब बनाया था उसमे उन्होंने मछलिया और बत्तक ला दिए. जहा लोग सिर्फ एक ही कमाई देखते हे वहा सिद्धार्थ ने कुछ बडा देखा और तालाब मे चलने के लिए बोट लाये। लोगो के रुक ने के लिए रूम्स बनवाये आसपास के शहर से लोग वहा गुमने आने लगे साथ ही मछली पालन से भी उनकी आमदनी बहेतर हो गई साथ ही बत्तक के अंडे भी बेचने लगे. उनके यहाँ शहर से गुमने आने वाले लोगो ने उनसे अच्छे दूध की और आर्गेनिक सब्जी की मांग की.

डेस्टिनेशन वेडिंग, बर्थडे सेलिब्रेशन (Destination weddings, Birthday celebration)
लोगो की डिमांड पे उन्होंने गाय की संख्या बढाई और शुद्ध दूध और दूध की प्रोडक्ट्स अपने कस्टमर्स को डिलीवर करने लगे. सिद्धार्थ यहाँ पर रुकने वाले नही थे उन्होने तालाब के बीच में एक मचान बनवाया और उसे अच्छे से सजा दिया। लोग यहाँ पर बर्थडे अनिवर्सरी, रिटायरमेंट सेलिब्रेट करने आने लगे.शहर के लोगो को भी यह जाह्गाह काफी पसंद आने लगी शहर की भीड भाड से दूर. धीरे धीरे यह डेस्टिनेशन वेडिंग मे बदल गया और लोग यहाँ पर शादी के लिए भी आने लगे. सिद्धार्थ का छोटा सा प्लान अब बोहत बड़े बिज़नेस मे बदल गया था. जहां दूर-दूर से लोग हॉलिडे मनाने भी आते हैं और वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए भी एडवांस बुकिंग होने लगी थी.
वृद्ध को घर, भूखे को खाना और बच्चो को शिक्षा जैसे कही नेक काम
सिद्धार्थ को लगा की उनको समाज से लोगो से देश से बोहत कुछ मिल रहा हे और अछि खासी कमाई वक्त लोगो के लिए कुछ अच्छा करने का हे. यही सोच के साथ उन्होंने समाजसेवा के कही काम करने लगे. जैसे की बच्चो को अछि शिक्षा देना। । गरीब, बुजुर्ग और अनाथ बच्चो के लिए प्रभु का घर बनवाया हे. यहां उनकी हर तरह से देखभाल की जाती है। हर दिन करीब 500 लोग प्रभु की रसोई में खाना खाने भी आते हे जिसका वह कोई चार्ज नही लेते और जनकल्याण मे करते हे.
गोल्ड सिद्धार्थ की कहानी सचमे युवा लोगो के लिए मार्गदर्शन से कम नहीं हे. पढाई मे गोल्ड मेडलिस्ट से अच्छी नौकरी और फिर गोबर उठाने से लेके गाय पालने का काम करके करोडो की कमाई और कमाई को समाज, लोगो के लिए दान करना ये सच मे एक उम्दा काम हे. सिधार्थी की महेनत को हमारा सलाम.