युद्ध का असरः सरिया 20,000 रुपए प्रति टन महंगा, स्पॉन्ज आयरन सहित सभी प्रकार के रॉ-मैटेरियल में तेजी

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भवन निर्माण की सबसे अहम जरूरत सरिया की कीमतों पर ब्रेक लगता नजर नहीं आ रहा है। इससे घर बनवा रहे लोगों और निर्माण कार्यों में जुड़ी एजेंसियों के समक्ष दिक्कतें खड़ी कर दी हैं। इसके चलते भवन निर्माण से जुड़े कार्यों की गति लगातार धीमी होती जा रही है।युद्ध किसी भी देश के आजतक अच्छा साबित नहीं हुआ है , भले ही जंग ख़तम हो जाए पर उसके परिणाम हमें वर्तमान और भविष्य में भुगतने होते है। युद्ध के कारण बहुत सारी चीजों की कीमते भी बढ़ती है। जिससे आम लोगो के जीवन पर बड़ा असर होता है।

स्थानीय लोहा मंडी में दो सप्ताह के अंतराल में ब्रांडेड सरिया के भाव करीब 20,000 रुपए प्रति टन उछाल गए हैं। कंपनियों को कच्चा माल मिलना मुश्किल हो गया है। कारोबारी अरुण जैन ने बताया कि यूरोपियन-एशियाई देशों में रूस-युक्रेन युद्ध से जबदस्त तनाव बना हुआ है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चा माल लगातार महंगा हो रहा है।

जयपुर मंडी में ब्रांडेड सरिया के 8 एमएम के भाव 89000 रुपए प्रति टन जीएसटी पेज के आसपास पहुंच गए हैं। स्थानीय लोहा मंडी में नई व पुरानी स्क्रेप में तेजी ते चलते सरिया, एंगल, चैनल तथा गर्डर के भाव उछल गए है। जैन ने कहा कि निर्माताओं को रॉ मैटेरियल किसी भी भाव में क्षमता के अनुरुप नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि सरिया एवं अन्य उत्पादों की उत्पादन लागत महंगी हो गई है। इस वजह से सरिया के भाव बेकाबू हो गए हैं। घरेलू इस्पात निर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉयल और टीएमटी सरिया के दाम काफी बढ़ा दिए हैं।

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