भारत पिछले काफी समय से डिजिटल करंसी लाने की सोच रहा था| पूरी दुनिया में अब डिजिटल करंसी का मार्किट बढ़ गया है| इसमे भारत कैसे पीछे छुट सकता है| लेकिन रिजर्व बेंक और भारत सरकार की क्रिप्टोकरंसी को लेकर कुछ चिंताए थी| साल 2018 में रिजर्व बेंक ने क्रिप्टोकरंसी पर रोक लगा दी गई थी| लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था| सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से क्रिप्टोकरंसी में निवेश करनेवालों को सांस में सांस आई थी|
अब भारत सीबीडीसी नामसे डिजिटल करंसी ला रही है| “सीबीडीसी” यानि “सेन्ट्रल बेंक डिजिटल करंसी” होता है| दिसंबर तक यह डिजिटल करंसी भारत में लोंच करदी जायेगी ऐसा रिपोर्ट के माध्यम से पता चल रहा है| जुलाई महीने में इसके संकेत भारतीय रिजर्व बेंक द्वारा दिए गए थे| एक प्रेस कंफेरंस में डेप्युटी गवर्नर ने यह बात का संकेत दिया था|
क्रिप्टोकरंसी और सीबीडीसी में फर्क
क्रिप्टोकरंसी किसीभी सरकार या बेंक के कंट्रोल में नहीं होती| भारत के डिजिटल करंसी भारतीय रिजर्व बेंक के कंट्रोल में होगी| इस RBI का पूरा समर्थन मिलेगा| इसीलिए सीबीडीसी सेंट्रलाइज्ड होगा जब क्रिप्टोकरंसी डी-सेंट्रलाइज्ड है| बैंक के साथ किसीभी क्रिप्टोकरंसी का लेना देना नहीं होता है| कोई भी बेंक क्रिप्टोकरंसी पर नियंत्रण नहीं रख सकती है| इस हिसाब से देखे तो दोनो में बहोत अंतर दिखाई पड़ता है|
अगर हम दुनिया की बात करेतो, दुनिया के 86 फीसदी सेन्ट्रल बेंक सीबीडीसी पर रिसर्च और विचार कर रहे है| 60% सेन्ट्रल बेंको द्वारा इसपर प्रयोग जारी है जबकि 14% सेन्ट्रल बेन्कोने सीबीडीसी का पायलट प्रोजेक्ट चालू भी कर दिया है| भारत भी इस पर विचार कर रहा है और चरणबध्द तरीके से इसे लागू करने के पक्ष में है|
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