मंजिल उन्हें मिलती हैं जिनके सपनो मैं जान होती हैं , पंख से कुछ नहीं होता सपनो से उड़ान होती हैं। ‘ जज्बा हो, हिम्मत हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता ? आज हम आपके लिए ऐसे ही हौसलों से भरी कहानी। कहानी एक ऐसी लड़की की जिसने विकलांगता को हराया , गरीबी को हराया और देशकी सबसे मुश्किल सिविल सर्विसेज की परीक्षा UPSC को पहले ही प्रयास मैं क्लियर कर लिया।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के पाली मारवाड़ की उम्मुल खेर। उम्मुल बचपन से विकलांग थीं। बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित होने की वजह से उनकी हड्डियां बहुत कमजोर हैं । इस डिसऑर्डर की वजह से कई बार उनकी हड्डियां टूट जाती थीं। जिस वजह से उन्होंने कुल 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरियों को झेला है। उम्मुल की हड्डिया भले ही कमजोर हो पर उनके हौसले पहाड़ो से भी मजबूत थे तभी तो इतनी तकलीफो के बावजूद उन्होंने देशका सबसे मुश्किल इम्तेहान पहले ही प्रयास मैं पास कर लिया।
आर्थिक हालत नहीं थे ठीक।
उम्मुल के बचपन मैं ही उम्मुल के पिताजी कमाने के लिए दिल्ली आ गए थे। पर उनका संगर्ष भी काफी मुश्किलों से भरा रहा। उनके पिताजी फेरी लगाकर अपने परिवार का पेट पालते थे। पर कमाई काम होने के वजह से दिल्ली निजामुद्दीन स्तिथ झुग्गी झोपड़ी मैं रहते थे। और जब २०११ मैं झोपड़ियो को उजड़ा गया तो उनका घर भी चला गया। उसके बाद वे त्रिलोकपुरी में भाड़े के मकान मैं रहने लगे। तब वे ७वी कक्षा मैं थी।
उसने अपनी पढाई की जिम्मेदरियो को पूरा करने के लिए ट्यूशन करवाया। वो पढाई का मोल समज चुकी थी। दसवीं बारवी मैं अच्छे मार्क्स लेकर उन्होंने दिल्ली विश्व विद्यालय मैं दाखिला लिया। वहां से ग्रेजुएट होने के बाद वे JNU चली गयी वह अपनी पढाई के साथ साथ उन्होंने upsc की तैयारी की।उम्मुल ने upsc की परीक्षा मैं ४२०वी रैंक हंसल की और अभी वह आईएएस अफसर हैं