किस राक्षस से डरकर भागे थे भगवान शिव, कहानी में क्‍या है जीवन का सार

Devotional

भगवान शिव, जिन्हें महादेव या महान देवता के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं. उन्हें ब्रह्मा (निर्माता) और विष्णु (संरक्षक) के साथ, हिंदू त्रिमूर्ति के तीन प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है. हिंदू देवताओं में भगवान शिव को विध्वंसक और परिवर्तक के रूप में जाना जाता है. लेकिन भगवान शिव एक बार जल्द ही वरदान देने की 

वृकासुर का कठिन तप, शिवजी का प्रसन्‍न होना

वृकासुर और भगवान शिव की कहानी हमें पुराने ग्रंथों में मिलती है. यह कहानी एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रोचक कथा है जो हमें यह बताती है कि दुष्ट शक्तियों को नष्ट करने के लिए देवताओं की आवश्यकता क्यों होती है.

वृकासुर एक तपस्वी राक्षस था जो अपनी तपस्या के बाद भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहा था. उसने बहुत सारे वरदानों की मांग की और अंत में उसे एक वरदान मिला जिसमें कहा गया था कि जो कोई भी उसके सिर पर अपना हाथ रखेगा, वह व्यक्ति भष्म हो जाये.

वृकासुर बहुत खुश था और उसने यह सोचा कि अब वह किसी भी व्यक्ति को सर पर हाथ रखेगा तो वह इन्सान भष्म हो जायेगा. इस वरदान की परीक्षा लेने के लिए वृकासुर ने भगवान शिव को कहा की मुझे वरदान मिला है उसे साबित करने के लिए मुझे आपके सर पर हाथ रखना है. यह सुनते ही भगवान वहा से चले गए. लेकिन वृकासुर ने उनका पीछा किया. भगवान शिव भुमंडल छोड़ देव लोक पहुच गए. 

यह शक्ति प्राप्त करने के बाद वृकासुर अहंकारी हो गया और संसार में उत्पात मचाने लगा. वह निर्दोष प्राणियों को मारकर उनके सिर पर हाथ फेरकर उन्हें भस्म करने लगा. इससे आतंक का साम्राज्य फैल गया और लोग उसकी विनाशकारी क्षमताओं से डरने लगे. 

वृकासुर का अंत 

देवता और ऋषि वृकासुर के कार्यों से चिंतित हो गए और भगवान विष्णु से मदद मांगी. विष्णु ने, भगवान कृष्ण के रूप में अपने अवतार में, हस्तक्षेप करने और वृकासुर के खतरे को समाप्त करने का फैसला किया.

भगवान कृष्ण ने वृकासुर को चकमा देने के लिए एक योजना बनाई. वह वृकासुर के पास पहुंचा और उसकी शक्तियों से प्रभावित होने का नाटक किया. कृष्ण ने वृकासुर को उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए मना लिया. जैसे ही वृकासुर ने उसके सिर को छुआ, भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्तियां सक्रिय कर दीं और वरदान उल्टा पड़ गया.

वृकासुर अपनी शक्ति से पराजित होकर भस्म हो गया. यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और विनम्रता और धार्मिकता के महत्व पर प्रकाश डालती है.

कहानी का सार:

वृकासुर की कहानी एक नैतिक सबक के रूप में कार्य करती है, जो हमें अहंकार के परिणामों और जिम्मेदारी से शक्ति का उपयोग करने के महत्व की याद दिलाती है.

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