झारखंड खनिज भंडार के लिए जाना जाता हे. झारखंड में देश का ३०% से भी ज्यादा कोयला, तांबा , ग्रेफाइट, बॉक्साइट हे वही ९५% पायराइट हे ऐसा हे. एक अनुमान के हिसाब से पुरे भारत का ३२% खनिज सिर्फ झारखण्ड के पास हे. झारखंड मे सोने के भंडार होने के भी कही सबुत मिले हे. इनहीमे से एक हे स्वर्णरेखा नदी. स्वर्णरेखा नदी गने जंगल और पहाडो से होते हुए निकलती हे. यहाँ रहने वाले आदिवासियों के लिए यह नदी जीवनदायनी से कम नही हे.
यहाँ के जंगल पहाड़ अपने आप में कही रहस्यों का ठिकाना हे. माना जाता हे की यह नदी वर्षो से सोना उगलती हे यानि यहा की रेत मे सोना पाया जाता हे. यह नदी झारखण्ड, ओर्रिसा, बंगाल हो के निकलती हे. यह नदी की लम्बाई ३८० KM तक हे. यह नदी रांची के पास से निकलती हे. कहा जाता हे की इस नदी के रेत में सोने के कण पाए जाते हे. विशेषग्न्यो का कहना हे की यह नदी पहाड़ो में से निकलटी हे जिसकी वजह से पहाड़ कट ते रहे ते हे. हजारो सालो से सोना पहाड़ो में फसा रहता हे जो नदी के साथ रेट के कण मे तब्दील होके नदी मे आता हे.
नदी अपने बहाव के साथ रेत के कणो को पहाड़ो से जंगल की और ले जाती हे. जहा पे कही जनजातियों का वासवाट हे जो हजारो सालो से वह रह रहे हे. कही लोग कहते हे की करकरी नदी, जो स्वर्णरेखा नदी की सहायक नदी है, उसके वजह से इस नदी में सोने के कण आ सकते हे , क्योंकि इसी के जैसे सोने के कण करकरी नदी में भी देखे गए हे. हकीकत सच चाहे जो भी हो मगर यह नदिया जंगल में रह रहे आदिवासी जनजाति के लोगो के लिए वरदान से कम नहीं हे.
यहाँ पे सोना निकलने के वजह से यह नदी आदिवासियों के लिए आय का जरिया बन गई है। यहां के सथानीय लोग सुबह से शाम तक रेत को छानते दिखाई देते हैं। कही बार यह काम में उनका पूरा परिवार साथ रहता है. यहाँ के लोग बताते हे की इस कार्य में धैर्य की बोहत आवश्यकता हे. कही बार जरूरियात जितना सोना २, ४ घंटो मे ही मिल जाता हे, तो कही बार पुरे दिन काम करने पे कुछ भी नही मिल पाता। मॉनसून छोड़ के यहाँ पर पुरे साल सोना निकलने का काम चलता रहता हे. यहाँ के लोग बताते है की सोने का एक कण १०० से १५० रुपये तक बिक जाता हे जो यहाँ के आसपास के सुनार खरीद लेते हे. वही सुनार इसे आगे ३५० से ४०० तक में बेचते हे.