२०१९ मे अमेरिका से भारत सरकार द्वारा कुछ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदे गए थे। यह भारी-भरकम, वजनी डबल इंजन हेलिकॉप्टर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों के साजो-सामान और हथियार पहुंचाने में बहुत उपयोगी साबित हुआ है। मन जाता हे हेलीकाप्टर एक बरी में ही १०००० KG तक वजन उठा लेता हे. इसी हेलीकाप्टर की मदद से ओसामा को ढिकाने लगाया गया था। यह भरी भरखम तोप उठाने के लिए भी उपयोग में लिया जाता हे।
अभी चार दिन पहले एक चिनूक हेलीकॉप्टर प्रयागराज से बिहार की और के लिए जा रहा था। रास्ते मे ही अचानक कोई तकनीकी खराबी के कारण उसे बक्सर के एक गांव मानिकपुर में स्थित स्कूल के एक मैदान में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। हेलीकॉप्टर में १५ जवान मौजूद थे जो सही सलामत रहे. वायुसेना के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम में दो दिन में ही उसकी तकनीकी खराबी ठीक कर दी लेकिन अत्यधिक बारिश और घासयुक्त दलदली जमीन के कारण हेलीकॉप्टर टेकऑफ नही कर प् रहा था।
जैसा की भारत में कहा जाता हे जय जवान जय किसान, अब जवानो की मदद के लिए गॉव के किसान आगे आये चार ट्रैक्टर मंगवा कर उसे खिंचवाने का प्रयास किया गया लेकिन हेलीकॉप्टर एक इंच भी नहीं हिल रहै था। विगत तीन दिन से ग्रामीणों की इस भारी भरकम हेलिकॉप्टर देखने के लिए भीड लगी रहती थी। जब सारे प्रयासों से भी हेलीकॉप्टर शरू नही हुआ तो स्थानीय ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने कमांडर से अनुरोध किया कि इसके सकुशल टेकऑफ के लिए पूजापाठ करना चाहते हैं। विंग कमांडर तैयार हो गए। फिर क्या था, सारी पूजा सामग्री इकठ्ठी की गई। विधिवत मंत्रोच्चार से पूजापाठ हुआ। ग्राम प्रधान ने नारियल फोड़ा और हेलीकॉप्टर को तिलक लगाया। भारत माता की जय के नारों के बीच पायलट ने पुन प्रयास किया और हेलीकॉप्टर का टेकऑफ हो गया। कुछ ही क्षणों में हेलिकॉप्टर आकाश मे नजर आया.
अब इस घटना को कैसे देखे? कुछ लोग पूजापाठ को अंधविश्वास मानने वाले लोग इसको आज क्या कहेंगें । जो भी हो! आस्था, विश्वास और विज्ञान का अद्भुत समन्वय है यह घटना।