नरेंद्र का परिवार हरियाणा में रहता हे, उनके पिता बड़े संघर्षो के साथ अपना परिवार चला रहे थे और अपने बच्चो को अछि शिक्षा दे रहे थे. अचानक ही एक दिन नरेंद्र के पिता का निधन हो गया था और उसके बाद वह कैसे सेना में लेफ्टिनेंट बने और गांव का और परिवार का नाम रोशन किया इसके पीछे की रोचक कहानी जाने।
14 साल के बच्चे की मानसिक स्थिति यह होती है कि वह आगे अपने जीवन में क्या करेगा और कैसे अपनी जिंदगी बेहतर बनाएगा। हम बात कर रहे हैं नरेंद्र की जो मीठापुर के रहने वाले हैं। नरेंद्र जब 14 साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था। पिता के जाने के बाद घर में जैसे मुश्किलों का पहाड़ टूट पडा था। बड़े भाई ने दसवीं की पढ़ाई छोड़ के मजदुरि करके घर का खर्च उठाने का तय किया। लेकिन बड़े भाई ने नरेंद्र की पढ़ाई बीच में नहीं रुकवाई। उन्होंने कड़ी मेहनत करके नरेंद्र को 12वीं की परीक्षा पूरी करवाई। उसके बाद पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर मे उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने के लिए भेज दिया, नरेंद्र ने पढाई मे कोई कसर बाकी नहीं रखी।
2018 में बहुत ही अच्छे नंबरों से बीटेक पास किया। पिता का सपना था की उनका एक कमसे काम सेक बेटा देश की सेवा के लिए सरहद पे जाये. इसी के चलते नरेंद्र ने सेना में भर्ती होने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी, नरेंद्र ने बताया के उनके पिता के साथ साथ सेना में जाने की उनकी भी इच्छा थी। दूसरी तरफ परिवार को आर्थिक मदद रूप होने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना भी चालू रखा।
कड़ी महेनत के बाद, वह 2020 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी के लिए चुने गए और 2021 में लेफ्टिनेंट बने। आज उनके परिवार को उन पर बहुत गर्व है। नरेंद्र की सफलता का सबसे ज्यादा श्रेय उनके बड़े भाई और माता भूपिद्र कौर को जाता है। वह बोलते हैं कि जहां परिवार साथ है वहां कुछ भी असंभव नहीं है यह एक इंटरव्यू में नरेंद्र ने बताया था।