कहते हैं की चलते रहने का नाम ज़िन्दगी हैं। और कई ऐसे लोग होते हैं जो हर मुश्किल के बावजूद बस चलते रहते हैं बस हिम्मत नहीं हारते। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने 10वि पढ़ने के बाद ही ख़राब आर्थिक स्थिति के चलते नौकरी शुरू करदी थी।
इस शख्स का नाम हैं सुनील वशिष्ठ जो की दिल्ली के रहने वाले हैं। आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 8 करोड़ रुपये हैं पर परिस्थितिया हमेशा हिओ ऐसी नहीं थी। विषम आर्थिक स्थिति के चलते उन्होंने 10वि के बाद ही पढाई छोड़ नौकरी शुरू कर दी थी। उनके पिताजी ने यह साफ कर दिया था की वह अपनी ज़िन्दगी अपने दम पर जिए। उसके बाद उन्होंने 1991 में दिल्ली में दूध के पैकेट बांटने का पार्ट टाइम जॉब किया था जिसमे उन्हें 200 रुपये महीने सैलरी मिली थी।
वह नौकरी करते वक़्त सुनील ने अपनी आगे की पढाई को जारी रखने का सोचा जिसके लिए उन्होंने एक कॉलेज में एडमिशन लिया और साथ में ही नौकरी भी शुरू रखी। तब उन्होंने ब्लू डॉट नामकी कंपनी में कुरिअर बाटने का काम शुरू किया था जिससे उन्हें थोड़े अच्छे पैसे मिलने लगे तो पढाई पे ध्यान नहीं दे पाए और पढाई वही छूट गयी। ढाई साल तक उन्होंने उस कुरिअर कंपनी में नौकरी की। लेकिन कंपनी के बांध होने की वहज से उनकी नौकरी छूट गयी।
जब सुनील एक नया जॉब धुंध रहे थे तब 1997 में ग्रेटर कैलाश इलाके में डोमिनोज़ नामकी कंपनी के ऑउटलेट के बारेमे पता चला जहाँ रिक्रूटमेंट थी। जिसमे अंग्रेजी आनी जरुरी थी। लेकिन सुनीलको अंग्रेजी ना आने की वजह से वे दो बार फ़ैल हो चुके थे। फिर भी वह तीसरी बार इंटरव्यू देने पहुँच गये। सुनील ने कहा की उनको एक मौका दिया जाये वो अंग्रेजी भी सिख लेंगे। जिसके बाद सुनील को वहां जॉब मिल गयी। सुनील ने वहा खूब मेहनत की और उनको प्रमोशन भी मिला। लेकिन एक बार जब उनकी लेबर पैन में थी उन्हें छुट्टी नहीं मिली तो वो अपना काम किसी जूनियर को सौंप के चले गए। जिसकी वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
जब निकल दिया गया तो उन्होंने अपना ही कुछ काम करना बेहतर समजा। तो उन्होंने JNU के सामने एक फ़ास्ट फ़ूड स्टाल दाल दिया। लेकिन उसको भी अवैध मानकर तोड़ दिया गया। अब सिनिल सोच रहे थे की आखिर क्या किया जाये तब उन्हें पता चला की नॉएडा में कॉल सेंटर्स काफी खुल रहे हैं जहाँ की बोहोत साडी MNC अपने कर्मचारियों का जन्मदिन धूमधाम से मानते हैं। और केक पित्ज़ा आदि मंगवते रहते हैं। सुनील ने तेजी से यह मौका पकड़ लिया और 2007 में अपने दोस्त से पैसे उधर लेकर उन्होंने नॉएडामें एक शॉपिंग मॉल में दुकान ले ली।
वहां उन्होंने एक केक शॉप ओपन की जिसका नाम रखा Flying Cakes। सुनील के बनाये हुए फ्रेश केक्स लोगो को खूब पसंद आ रहे थे। जल्द ही उनकी केक की डिमांड खूब बढ़ने लगी। धीरे धीरे करके कॉर्पोरेट्स में सुनील के केक्स फेमस होने लगे। आज उनकी कंपनी के कई सारे राज्यों में फ्रेंचाइजी आउटलेट्स हैं। जिससे उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 8 करोड़ से भी ज्यादा हैं। अगर मौके की समज हो तो इंसान कही से भी कही पहुँच सकता हैं।