टोक्यो ओलिंपिक में पूरी दुनिया भारतीय सेना जवान की तारीफ करते थक नही रही! 13 टांके और खून से लतपत चहेरा लेके बॉक्सिंग रिंग में उतरे सतीश कुमार ।।

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बॉक्सिंग रिंग में आज रोंगटे खड़े करने वाला मैच हुआ। सतीश कुमार भारतीय सेना में अफसर हे। सतीश कुमार पहले कब्बड़ी प्लेयर रह चुके हे। सतीश कुमार को कोच ने प्रेरित करके मुक्केबाजी में शामिल किया। कुछ ही वक्त में सतीश कुमार सुरमा मुक्केबाज बन गए। पहले वह राष्टीय चैंपियन बने और देखते ही देखते 2 बार एशिया गेम में रजत पदक जीत लिया। ओलिंपिक जैसे बड़े खेलो में भारतीय आर्मी से कही जवान हिस्सा लेते हे और देश की रक्षा के साथ साथ ओलिंपिक जैसी गेम्स में भी भारत का नाम रोशन करते हे।

सतीश कुमार टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारत की तरफ से अपना प्रदर्शन दिखा रहे थे। वह एक के बाद एक मैच जीते जा रहे थे। दर्शको को ऐसा लग रहा था की जैसे बॉर्डर पे किसी जंग में भारतीय सेना का सिपाई एक के बाद एक दुश्मन को ढेर कर रहा हो। सतीश को देख के ही बन रहा थे की ये जवान मेडल जीतने नही कुछ बड़ा करने रिंग में उतर रहा हे। प्री क्वार्टर फाइनल का मैच था, सतीश एक के बाद एक पॉइंट अपनी जोली में डाल रहे थे। तभी लोगो ने टीवी पे देखा की सतीश के चहेरे से खून टपक रहा हे, मगर सतीश यहा रुकने वालो में से थोड़ी ही थे आखिर कर वह इंडियन आर्मी के शहर हे। सतीश खून से भीगे हुए थे पर फिर भी वह रिंग में डेट रहे और मैच अपनी जोली मे डाल लिया। देख ने वाले सब हैरान थे मैच के तुरंत बाद सतीश को हॉस्पिटल ले जाया गया।

हॉस्पिटल में सतीश की हालत देख डॉक्टर भी हैरान थे, इतनी चोट में कोई बंदा कैसे रिंग में फाइट ले सकता हे। डॉक्टर ने चोट देखी तो बताया कि सिर में 6 और आंख के ऊपर 7 टांके लगाने पड़ेंगे। अगर आप सोच रहे हो यहा खेल खत्म हो गया तो उसका जवाब हे आप बिलकुल गलत सोच रहे हो। डॉक्टर ने सक्त बोला अगला मैच आप नही खेल सकते मगर सतीश कहा मानने वाले थे। लोगो के लाख माना करने पे भी सतीश ने साफ बोल दिया जवान सिरहद पे सिरकटा सकता हे सिर जुला नही सकता। में रिंग में जितने नही बल्कि यहा आया हु तो बिना लड़े वापस नहीं जाऊंगा।

क्वॉर्टर फाइनल का मैच दुनिया के सबसे बेहतरीन बॉक्सर से था। घायल हालत में सतीश रिंग में उतरे पूरे चहेरे पे टांके थे। मैच शुरू होते ही पहले ही राउंड में सतीश को चेहरे के ऊपर ही मंच पड़े और उनके टांके खुल गए टांके खुलते ही खून की धार उनके चेहरे से होती हुई पूरे शरीर पर और रिंग में गिरने लगी। उनके कोच और डॉक्टर चिल्ला रहे थे कि मैच को आधे में ही छोड़ दो। मगर इंडियन आर्मी का जज्बा बोलो 36 की बहादुरी वह नहीं माने उनका कहना था कि 5 राउंड खत्म किए बिना मैं रिंग से बाहर नहीं आऊंगा। घायल हालत में भी सतीश दुनिया के सबसे बेहतरीन बॉक्सर के सामने लड़ते रहे और आखिर में सतीश की हार हुई मगर सामने खड़ा बॉक्सर की भी आंखें नम हो गई सतीश के जज्बे को देखकर सतीश को सलाम किया। भारतीय आर्मी सरहद पे ही नही हर मुकाम पर भारत का नाम रोशन कर रही ही। देश के पास ऐसी आर्मी होना सौभाग्य की बात हे। जय जवान ।।

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