हमारे देश एक कृषि प्रधान देश है। ज्यादातर लोग खेती या उससे जुड़े व्यवसायों से जुड़े हुए है। हमारे देश में कई जगहों पर खेती के अच्छी जमीन है तो कई जगह ऐसी भी है जहा जमीन में कुछ उगता भी नहीं है। लेकिन आज के समय में किसान बहुत आधुनिक हो गए है,वह परंपरा गत खेती करने के बजाय कुछ न कुछ नया करके अच्छा खासा पैसा कमाते है। आज हम एक ऐसे ही किस्से के बारे में बात करेंगे।
हम बात करने जा रहे है हरियाणा के सिरसा जिले की ,आपको बतादे के सिरसा जिला राजस्थान और पंजाब बॉर्डर के नजदीक में है। सिरसा जिले के ज्यादातर लोग किसान ही है लेकिन वह खेती लायक जमीन नहीं है। जितनी भी जमीन है उसमे से ज्यादातर जमीन बंजर जमीन है। यहाँ की जमीन खेती के लिए अभिशाप मानी जाती है क्योकि यहाँ पानी का स्तर काफी निचा चला गया है और यहाँ का पानी भी बहुत खारा है।
यहाँ के किसानो की स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार हरियाली क्रांत्रि को बढ़ावा देने के लिए यहाँ के किसानो के लिए मत्स्य संपदा योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत किसानों ने झींगा मछली पालन का व्यवसाय करके अन्य फसलों की तुलना में अधिक पैसा कमाना शुरू कर दिया है। यह व्यवसाय चालू करने के बाद यहाँ के किसानो को आर्थिक स्थिति अचानक मजबूत हुई है। पूरे हरियाणा राज्य में 785 एकड़ जमीन में मछली पालन किया जा रहा है,जिसमें से 400 एकड़ जमीन सिरसा में है।
मत्स्य पालन में रुचि रखने वाले किसान की जमीन पर तालाब बनाने, खारे पानी में मछली पालन, झींगा पालन और मछली बेचने के लिए वाहन खरीदने के लिए अनुदान को मत्स्य विभाग में आवेदन कर सकते हैं।चोरमार खेड़ा के किसान देवेंद्र सिंह और संदीप कौर अपनी ढाई एकड़ जमीन पर मछली पालन का व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंने तालाब में 3.40 लाख रुपये के मछली बीज डाले और 125 दिन की अवधि के बाद 11.50 टन मछली का उत्पादन किया और 51 लाख रुपये से अधिक की बिक्री का लाभ कमाया।