आईएएस या आईपीएस? जानें कौन होता है ज्यादा पावरफुल और क्या है दोनों में अंतर

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अभी 24 सितंबर को ही यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम यानी कि यूपीएससी का रिजल्ट आया है।  इसमें बिहार के शुभम कुमार ने टॉप किया है। यूपीएससी का एग्जाम सबसे कठिन परीक्षा में माना जाता है। इस परीक्षा में चयनित होने वाले सबसे ज्यादा मार्क्स वाले विद्यार्थियों को आईएस में चयनित किया जाता है। उसके बाद को आईपीएस और आईएफएस जैसे होद्दो पर चयनित किया जाता है। इन सभी का भले ही एग्जाम एक ही हो लेकिन भूमिकाए अलग-अलग होती है। चलिए हम आपको बताते हैं कि इन दोनों की क्या-क्या भूमिकाएं है, क्या अंतर है ,और किसके पास ज्यादा पावर होती है।

रिजल्ट आने के बाद सबकी अपने रैंक मेरिट और अपने प्रेफरेंस के अनुसार सब को अलग अलग कैडर विभाजित किए जाते हैं। आईएएस और आईपीएस की ट्रेनिंग शुरुआत में तो मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन यानी कि लबसना में फाउंडेशन कोर्स से शुरू होती है जिसमें सभी को 3 महीने बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्स और स्किल्स सिखाए जाते हैं। जो कि हर किसी के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। एकेडमी के अंदर ऐसी एक्टिविटीज कराई जाती है जिससे मेंटल और फिजिकल मजबूती बढ़ जाती है।

इसके अलावा अधिकारियों को विलेज विजिट की भी ट्रेनिंग दी जाती है। और इस दौरान अफसरों को दूर गांव में जाकर 7 दिन रहना होता है और गांव की जिंदगी के हर पहलू को समझना होता है, ताकि वह उनकी समस्याएं समझ सके और उनके विकास एवं सुविधा के लिए कार्य कर सकें। इसके अलावा भी सभी अधिकारियों के लिए इंडिया डे का आयोजन होता है।  जिसमें वे अपने अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं इसमें सभी लोग अलग-अलग कास्टूम और नृत्य और खाने के जरिए देश में विविधता को देखते हैं। सब एक दूसरे की संस्कृति से परिचित होते हैं।

इन 3 महीने खत्म होने के बाद आईएएस और आईपीएस दोनों की ही ट्रेनिंग अलग कर दी जाती है आईपीएस अधिकारियों को हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भेज दिया जाता है। जहां उन्हें पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है। आईपीएस को ज्यादा ही टफ ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। उनको घुड़सवारी,परेड ,हथियार चलाना सब शामिल होता है।

वही आईएएस ऑफिसर लबसनामें ही रहकर ट्रेनिंग करते हैं। इसके बाद आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग होती है जिसमें उन्हें एडमिनिस्ट्रेटर की जानकारी दी जाती है।आईएएस अधिकारियों की जिम्मेदारी में एक क्षेत्र ,जिल्ला  विभाग का प्रशासन शामिल होता है ,उन्हें अपने क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने और उन्हें सभी नीतियों को लागू करने के साथ-साथ महत्वपूर्ण निर्णय लेने की कार्यकारी शक्तियां भी दी जाती है।

जबकि आईपीएस अधिकार के लिए यह क्षेत्र बदल जाता है। उन्हें अपराधों की जांच करनी होती है उस क्षेत्र में उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखनी होती है जहां पर तैनात होते हैं वह कानून एवं व्यवस्था का ध्यान रखना होता है। एक आईएएस अफसर का कोई ड्रेस कोड नहीं होता सब की एक आईपीएस अधिकारी ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनते हैं।

आईएएस अधिकारी पोस्ट के अनुसार उन्हें एक बॉडीगार्ड मिलता है जबकि आईपीएस के साथ पूरी एक चलती है एक आईपीएस की तुलना में ज्यादा होता है लेकिन और एक क्षेत्र में केवल एक ही आईएएस ऑफिसर होता है। जबकि जरूरत के अनुसार आईपीएस ऑफिसर की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

कुल मिलाकर आईएएस अधिकारी का पद और वेतन अधिकार के मामलों में आईपीएस अधिकारी से बहुत ज्यादा बेहतर होता है किंतु जब रॉफ और पावर दिखाने की बात आती है आईपीएस अधिकारी की अपनी ही अलग पावर होती है। बोहोत सरे ऐसे अफसर होते हैं जो की मेरिट में टॉप में रहकर भी आईपीएसको अपना पहला चॉइस बनाते हैं क्युकी वर्दी उनकी पहली चॉइस होती हैं।

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