पिछले 6 महीने में तेल की कीमत में भारी बढ़ोतरी हुई है। खाद्य तेल का उपयोग अमीर से लेकर, मध्यमवर्ग तथा कम अमदा कमाने वाला वर्ग भी करता हे। बिना खाद्य तेल के भोजन बनाना आज के समय में बहुत ही मुश्किल है। खाध्य तेल भारतिय भोजन का एक अहम अंग बन गया है। चाहे वह सब्जी बनाना हो, दाल बनाना हो, मिठाई बनानी हो, या पकोडे समोसे पूरी हलवा जैसे पकवान बनाने हो, बिना खाद्य तेल के भारतीय रसोई घर की कल्पना करना मुश्किल है। और यही खाद्य तेल पिछले 1 सालों में इसकी कीमत आसमान छू रही थी। 1500 में मिलने वाला 15 किलो खाद्य तेल 2500 तक पहुंच गया था जिसमें हाल ही में थोड़ी कमी आई है।
भारत में ज्यादातर खाद्य तेल मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से आयात किए जाते हैं। पिछले कुछ दिनों से सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलों के भाव पामोलिन से नीचे आने के कारण सोमवार को स्थानीय बाजारों में खाद्य तेल की कीमत में गिरावट देखी गई। रिफाइंड तेल की कीमत में प्रति किलो ₹5 से भी अधिक की कमी देखी गई। यानी आपको 15 किलो खाद्य तेल पर 75 रुपीस केयर का बचत होगा। खाद्य तेल में गिरावट की एक बड़ी वजह मलेशिया एक्सचेंज में डेट प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट देखी गई थी। सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे हल्के तीनों की कीमत है पामोलिन तेल से नीचे चले गए थे। सूरजमुखी तेल के कीमत है $1435 प्रति टन के आसपास है।
मिलती खबरों के मुताबिक खाद्य तेल की कीमत में और 3 से ₹5 की कमी देखने को मिल सकती है। सरकार भी खाद्य तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इसी के कारन पाम तेल की कीमतों में औसतन 20% की कमी देखी गई थी जो 1 महीने पहले 169 रुपए के आसपास मिल रहा था वह आज 132 रुपए किलो के भाव से मिल रहा है। सोया तेल ₹150 से 155 रुपए के आसपास मिल रहा है। वहीं मूंगफली का तेल ₹180 सरसों का तेल 182 और सूर्यमुखी का तेल 165 रुपए के करीब रहा। पिछले 20 दिनों में खाद्य तेल की कीमतों में काफी कमी आई है मगर यह कमी बढ़ी हुई कीमतों के सामने आज भी काम है। भारत में आज भी 60 % खाद्य तेल आयात किया जाता है जिससे वैश्विक कीमतों का सीधा असर भी खाद्य चलोगे रहता है जो खाद्य तेल की कीमतें ऊपर नीचे ले जाने में एक वजह है।