पंद्रह की उम्र में शादी- 36 में विधवा, 10 रु. के लिए मोहोताज कैसे बनी कारोबार की मालकिन?

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हौसला बुलंद हो तो आप हार नहीं सकते,इस कहावत पार्ट बिहार की एक विधवा महिला ने चुनोतियो को मात दे कर आज कारोबार की मालकिन है आज हम जाने गे 59 साल की शकुंतला सिंह के बारे में जो की अपनी गरीब परिस्थिति से बहार निकल कर लाखो के कारोबार की मालिक बनी है.

आज हम जानेगे बिहार के मुजफ्फुरपुर जिले के सरैया प्रखंड की रुपौली पंचायत की 59 साल की विधवा महिला शकुंतला सिंह के बारे में जिन्होंने उनके जीवन में काफी चुनोतियो का सामना कर आज लाखो के कारोबार की मालिकिन बनी है. धर वाले गरीब थे इसलिए सन 1969 में शकुंतला जी की शादी घर वालो ने अधेड़ उम्र के जनबहादुर सिंह के साथ करवाई. 1969 में शकुंतला जी सिर्फ 15 साल की ही थी. जब उनकी उम्र 36 साल हुई तब उनके पति का देहांत हुआ तब उनके सर 3 बेटिया और 2 बेटो की जिम्मेदारी आई.उनके घर खर्च के लिए उनकी दो एकड़ जमीन भी बिक चुकी थी. तब उनके बड़े बेटे की उम्र 13 साल थी और सबसे छोटी बेटी की उम्र 4 साल थी अकेले ही शाकुंतला जी को उनके बच्चो की परवरिश करनी थी एक दिन ऐसा भी आया जब उनको 10-20 रुपये देने वाला कोई नहीं था. 600 रुपये में उन्होंने अपने घर पर ही किराने की दूकान खोली लेकिन छोटे बेटा बीमार होने की वजह से वो दूकान भी बांध हो गयी. उसके बाद शकुंतला जी 2009 में जीविका से जुडी और वहा से 10 हजार रुपये लेकर एक गाय खरीदी. फिर यही से ही उनकी सफलता का सफ़र शुरू हुआ. एक के बाद एक गाय खरीदती गई. साल 2011 में गाव वालो ने उनके बड़े बेटे को मुखिया के चुनाव् के लिए खड़ा होने को कहा और उन्होंने जीविका से 15 हजार लेकर बड़े बेटे को मुखिया के चुनाव में खड़ा किया. उनका बड़ा चुनाव जित गया. 2016 में उन्होंने भी चुनाव लड़ा और वो भी चुनाव जित गई.

पंचायत के विभिन्न भवन और सड़क निर्माण में पेवर ब्लाक की मांग को देखकर उन्होंने खुद पेवर ब्लोक बनाने बिजनेस शुरू किया. बोरिंग गड़ाने का 40,000 लेते थे तब उन्होंने राजस्थान से बोरिंग मशीन खरीद ली और अपने बोरिंग के साथ साथ दुसरे के बोरिंग करने का बिजनेस शूरु किया. जैसे जैसे बोरिंग का काम बढ़ वैसे ही उन्होंने 5 और बोरिंग मशीन खरीद ली. अब काम बढेगा तो यंत्र भी बढे गे तो वैसे ही उनके मकान का दायरा भी बढ़ता गया.

इस महीने के जनवरी में उन्होंने एक स्कूल खोला है जिस में अभी 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते है. शकूंतला जी ने अभी तक जीविका से 10 लाख रुपये लेकर जीविका को चूका भी दिए उनके समय से पैसे देने की वजह से जीविका ने उनका लिंकेज बढ़ा कर 10 लाख कर दिया है. अब शकुंतला जी अलग-अलग तिन कंपनियों की मालकिन है. उन कंपनियों में उनके बेटे भी उनका हाथ बटा ते है लेकिन ज्यादातर पर काम वह खुद ही करती है. उनकी कंपनी का साला ना टार्न ओवर 30 लाख है.

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