कौन है ज्योति याराजी? जानिये क्या करते है माता पिता व् आजतक के रेकोर्ड
अगर हम कुछ साल पहेले की बात करे तो हमारे देश में बहोत ही कम लोग ज्योति याराजी को जानते थे. लेकिन अगर इस वक़्त आज की बात करे तो पुरे आज ज्योति याराजी को पूरा देश जानता है. ज्योति याराजी बहोत ही कम समय में भारत की एक उभरती हुई एथलेट की तरह चमकी है.
बहोत ही कम उम्र में ज्योति याराजी 100 मीटर हर्डल रेस का हिस्सा बन्ने का सौभाग्य पायी है. वर्तमान में ज्योति याराजी भारत की सबसे तेज़ हर्डल रनर है.
कोन है ज्योति याराजी और कहा से है
ज्योति याराजी का जन्म 28 अगस्त 1999 में आंध्र प्रदेश के विशाखा पट्टनम में हुआ था. अपने शुरूआती समय में वह भी बहोत ही सिमित संसाधनों के साथ पली बढ़ी.
कौन है ज्योति याराजी माता पिता व् क्या करते है
ज्योति याराजी के पिता का नाम सूर्यनारायण और माता का नाम कुमारी है. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में सुरक्षा कार्मी की जॉब करते है और उनकी माता हाउस वाइफ है. ज्योति याराजी के घर की पर मंथ इनकम बहोत ही कम थी. एथलेटिक्स को चुनने के पीछे उनके माता-पिता सबसे बड़ा कारण थे। माता-पिता की देखभाल करना ही उनके लिए प्रेरणा थी।
कहा हुआ ज्योति याराजी का शिक्षण और ट्रेनिंग
ज्योति याराजी की शुरुआत में ट्रेनिंग विजाग के पोर्ट हाई स्कूल कृष्ण में हुई थी. वहा उनके टीचर ने उनके टेलेंट को पहेचन लिया था. उनके टीचर ने उनको ट्रेनिंग देना शुरू किया उसके बाद ज्योति याराजी ने पीछे मुड के कभी नहीं देखा.
पहेली बार सुर्खियो में कब आई ज्योति याराजी
साल 2015 में ज्योति याराजी आंध्र प्रदेश इंटर-डिस्ट्रिक्ट मीट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पहली बार सुर्खियों में आई थीं। उसके अगले साल वह ओलंपियन और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच एन रमेश से प्रशिक्षण लेने के लिए हैदराबाद के साई सेंटर चली गईं।
ज्योति याराजी के रिकॉर्ड
ज्योति याराजी को कोझिकोड में फेडरेशन कप में 13.09 सेकेंड के समय के साथ एक और राष्ट्रीय-रिकॉर्ड बनाने का मौका था। लेकिन इस रिकॉर्ड को भी आधिकारिक मार्क के अनुरूप नहीं माना गया। क्योंकि यह विंड अस्सिटेड रन थी। उनकी रेस के दौरान हवा की गति +2.1मी/सेकेंड थी। यह गति एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड के लिए जरूरी +2मी/सेकेंड से अधिक थी।
एक नहीं बल्कि दो बार वह उन कारणों से रिकॉर्ड बनाने से चूक गईं, जो उनके नियंत्रण में नहीं थे। कोझिकोड में स्कोरबोर्ड पर हवा की गति देखने के बाद वह भावुक हो गई और उनके आंसू छलक पड़े।
बाद में हिलियर ने द हिंदू को बताया, “मैंने उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की कि दोनों ही मौकों पर उन्हें किस्मत ने धोखा दिया था। इसके अलावा उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यह एक अच्छी बात थी क्योंकि करियर में किस्मत का हिस्सा काफी औसत होता है।”
यह पूरी तरह से साफ है कि हिलियर अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे। और ज्योति आखिरकार अगले ही इवेंट में वह भी एक खास मीट में आधिकारिक रिकॉर्ड बनाने के लिए आगे बढ़ेंगी।
10 मई, 2022 को लिमासोल में साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और ज्योति याराजी ने अंततः 13.23 सेकेंड के समय के साथ महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। साथ ही उन्होंने 2002 में अनुराधा बिस्वाल द्वारा बनाए गए 13.38 के पिछले रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया।
यह भारतीय एथलीट द्वारा एक शानदार रेस थी, जिसमें खराब शुरुआत को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।
ज्योति याराजी ने द हिन्दू को बताया, “भारत में रेस शुरू करने के लिए एक मैनुअल गन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, यूरोप में वे एक इलेक्ट्रॉनिक स्टार्टर का उपयोग करते हैं। मैं इससे होने वाली आवाज से परिचित नहीं थी इसलिए मुझे पता ही नहीं चला कि रेस कब शुरू हो गई थी। मैंने तभी दौड़ना शुरू किया जब मैंने अन्य एथलीटों को दौड़ते देखा।”
मीट में 0.243 सेकेंड के रिएक्शन टाइम के साथ ज्योति बड़े अंतर से सबसे धीमी रनर रही।
अगले महीने स्प्रिंट लीजेंड उसैन बोल्ट और भारत के टोक्यो 2020 ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा की प्रशंसक ज्योति याराजी ने दो बार अपनी रेस के समय को बेहतर किया।
मई में यूके में लॉफबोरो इंटरनेशनल में 13.11 सेकेंड के समय के साथ उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके चार दिन बाद नीदरलैंड में हैरी शुल्टिंग गेम्स में अपने समय को बेहतर करते हुए 13.04 सेकेंड में ज्योति ने रेस पूरी की।
बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल 2022 ज्योति याराजी के लिए निराशाजनक रहा। वे पहले दौर में 10वें स्थान पर रहने के बाद फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहींं।
हालांकि, भारतीय हर्डल रेसर ने, 2022 सीज़न को अच्छे तरीके से समाप्त किया। उन्होंने नेशनल गेम्स के100 मीटर हर्डल रेस में 12.79 सेकेंड के नए व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस नए रिकॉर्ड के साथ ही ज्योति अपने डिसिप्लीन में 13 सेकेंड से कम समय लेने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई हैं।
लेकिन दुर्भाग्य से, उनका यह समय राष्ट्रीय रिकॉर्ड के लिए योग्य नहीं हो सका क्योंकि रन के दौरान हवा की सहायता 2.5मी/से थी।