मध्यप्रदेश में मंगलवार को दिन में बेहद ही दर्दनाक हादसा सामने आया है।आपको बता दें कि यह बस 62 लोगों के साथ सतना जा रही थी। रास्ते में यह 22 फीट गहरी बाणसागर नहर में गिर गई। रात तक बचाव कर्मी द्वारा 51 लोगों के शव निकाल लिए गए थे। ड्राइवर ने छात्रों के कहने पर दूसरा रास्ता लिया था क्योंकि उन्हें एग्जाम देने जाना था। इस रास्ते से नहर होकर जाती थी और रास्ता भी बहुत छोटा था। इसी दौरान बस का संतुलन बिगड़ा और बस नहर में गिर गई।
बतादे के सतना जा रही एक यात्री बस पानी से भरी नहर में पलट गई। इसमें मौजूद तक़रीबन 47 लोगों की मौके पर मौत हो गई। बस हादसे के समय लोगों को बचाने के लिए सबसे पहले वहा सरदा गांव की शिवारानी लोनिया और आशा बंसल मौके पर पहुंची थीं। उन दोनों ने बताया कि जैसे ही वह वहाँ पहुंची उन्होंने अपनी जान कि फ़िक्र न करते हुए बाणसागर नहर में छलांग लगा दी और बस के पिछले दरवाजे से निकले सात लोगों को पानी से बाहर निकाल लिया।
बस को नहर में गिरता देख मैं चीखती हुई भाई के साथ उस और दौड़ पड़ी। बस के पिछले दरवाज़े से कुछ लोग बाहर तो निकल आए थे, लेकिन वह बहने लगे। उसने उसे बचाने के लिए बिना कुछ सोचे छलांग लगा दी और उन्हें सहारा देकर किनारे पर ले आई। बस एक बच्चे नहीं बचा पाने का दुःख है वह मेरी आखों के सामने से पानी में बह गया।
वहीं आशा ने बताया बस को देखकर ऐसा लग रहा था कि ड्राइवर ने ब्रेक लगाकर संभालने की कोशिश की, लेकिन ढाल ज्यादा होने की वजह से वह बस पर कंट्रोल नहीं कर पाया। मैं तेज़ी से बस की और भागी देखते ही देखते पूरा गाँव वहा आ गया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन को फोन करके खबर दी गई। इसके बाद प्रशासन के लोग भी आधा घंटा में पहुंच गए. तब जाकर डूबे हुए लोगों की तलाश शुरू हो कर दी गई है।