रक्षाबंधन एक ऐसा दिन है जब बहनें अपने भाइयों के हाथों पर राखी बांधती हैं और उनकी लम्बी उम्र और रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के बमनी गांव में इस पावन दिन पर पूरे गांव में उस समय भावनात्मक दृश्य पैदा हो गया जब पांच बहनें अपने भाई को राखी बांधने के बजाय भाई की अर्थी को कन्धा देने को आई। पांच बहनों के भाई आईटीबीपी में सहायक कमांडेंट थे,और छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले में शहीद हो गये।
शहीद सुधाकर शिंदे (उम्र 45) 20 अगस्त को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में ड्यूटी पर थे। उस समय वह नक्सली हमले में शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार 22 अगस्त को उनके गांव में पूरे राजनीतिक सम्मान के साथ किया गया। स्मशान में मौजूद उनकी पांच बहनें, रिश्तेदार और पड़ोसी जब शहीद के छह साल के बेटे से मिले तो तो कोई भी अपने आंसू नहीं रोक पाया।
शहीद सुधाकर शिंदे के मित्र हरिभाऊ वाघमारे ने कहा कि वह सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने सभी बहनों से शादी करवाई थी। चूंकि उनके पिता एक छोटे किसान थे, इसलिए उन्होंने कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी अपने पर ले ली थी। उनकी नौकरी लगने के बाद उनके परिवार की हालत में सूधार आया था। जब से उनकी नौकरी लगी थी तब से वही परिवार की सभी जरूरतों का ख्याल रखते थे।
नारायणपुर में ITBP की एक टीम पेट्रोलिंग कर रही थी, जब नक्सलियों के एक ग्रुप ने उन पर हमला कर दिया। हमले में सुधाकर शिंदे को 13 गोलियां लगी थी और वह मौके पर ही शहीद हो गए थे। उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, चार साल की बेटी और छह साल का बेटा है। उन्होंने कृषि में बीएससी की पढ़ाई की, और फिर आईटीबीपी में शामिल हो गए, जहां उन्हें सहायक कमांडेंट के पद पर पदोन्नत किया गया।
बामनी गांव के सरपंच रामचंद्र जाधव ने बताया कि सुधाकर शिंदे, जो कम उम्र से ही मुश्किल हालात में पले-बढ़े, बेहद संवेदनशील और विनम्र व्यक्ति थे। पूरे गांव को उन पर गर्व था। अंतिम संस्कार में महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार शहीद के परिवार की हर संभव मदद करेगी।