भारतीय कंपनियों की ताकत दिखी पूरी दुनिया में, अब भारतीय कंपनीया खरीद रही है विदेशी कंपनियो को

News

इतिहास में हमने देखा है कि कैसे विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों को पेसो के दम पर खरीद लिया करते थे। जैसा के हमने देखा था पेटीएम, फ्लिपकार्ड ओयो जैसे कहीं मल्टीनेशनल एप्लीकेशन में विदेशी कंपनियों ने अपनी भारी पूंजी लगाई और अपनी हिस्सेदारी मजबूत की। वहीं भारत की कहीं छोटी मोटी कंपनियों को भी विदेशी कंपनियां पैसों के जोर पर अपने हस्तक ले लेते हैं। मगर अब वक्त बदल रहा है भारत के कुछ दिक्कत कंपनियां विदेशी कंपनियों को अधिग्रहण करने में लगी हुई है भारत की ऐसी बहुत सी कम्पनीया है, जिन्होंने विदेशी कंपनियां खरीदी है।

आइए जानते हैं ऐसी कुछ कम्पनीयों के बारे में जिन्होंने विदेशी कंपनियां अपने हस्तक लिया। टेक महिंद्रा ने थोड़े दिनों पहले ही घोषणा की है कि वह यूएसए की इंपोस्टर एलएलसी लोड स्टोन को 789 करोड़ रुपिया में खरीदने जा रहे हैं। आगे उन्होंने बताया कि वह इसी के साथ लंदन थी वी मेक वेबसाइट लिमिटेड डब्लू एम् डब्लू को 97 करोड़ रुपया में खरीदने जा रहे हैं।

वही पिछले साल एचसीएल ने ऑस्ट्रेलिया आईटी सॉल्यूशन प्रोवाइडर डीडब्ल्यूएस लिमिटेड लगभग 137 मिलियन डॉलर में अपने हस्तक लेने की घोषणा की थी। वहीं आईटी सेक्टर की दूसरी दिग्गज कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज टीसीएस ने भी कही छोटी मोटी कंपनियों का अधिग्रहण किया है। टीसीएस ने बताया कि वह बौद्धिक संपदा या जिस कंपनियों के पास बहुत से पैटर्न हो और जिसकी जरूरत टीसीएस को हो ऐसी कंपनियों को अधिग्रहण करने का प्रयास करते हैं। टीसीएस ने बैंकिंग बीमा सेवा वित्तीय सेवाओं वाले कंपनी बीएसएफआई वर्टिकल में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दो अधिग्रहण करने की घोषणा की है उसमें से एक पोस्ट बैंक सिस्टम एजी है वही दूसरी प्रूडेंशियल फाइनेंशियल आईएनसी से है।

इस दौर में भी विप्रो ने $1000000000 से जर्मनी की मेट्रो एजी की आईटी इकाइयों के अधिग्रहण किया है। इससे पहले विप्रो ने बेल्जियम स्थित 4c का भी अधिग्रहण किया था। इसके अलावा ऑटो टेक फॉर्म कारदेखो ने फिलीपींस मुडीकार का अधिग्रहण किया था वही OYO ने नीदरलैड के लीजर ग्रुप का अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। वही बीजू’स ने अमेरिका से लेकर यूरोप तक 8 बड़े अधिग्रहण किए हैं जिस वजह से मैं जो कि मूल्यांकन 16 बिलियन से अधिक हो गया है। भारत ज्यादातर ऊर्जा बिजली जैसे क्षेत्रों में अधिग्रहण करती आई है मगर पिछले 2 सालों में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप के अधिग्रहण की संख्या बढ़ी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *