पहले लोग अपनी कमी हुई पूंजी को बेंक मेही रखते थे और उस पर मिल रहे व्याज पर कई लोग अपना जीवन व्यापन करते थे| धीरे धीरे बेंक में पैसे जमा करवाना नुकसान का सौदा बनता जा रहा है| लेकिन आज भी लोगो का विश्वास बेंक पर ही है| धीरे धीरे बेंक की फिक्स डिपोजिट पर व्याज दर कम होता जा रहा है| दूसरी और महंगाई बढती ही जा रही है| ऐसी परिस्थितियो में बेंक में पैसे रखना नुकसान का सौदा बनता जा रहा है| हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते है|
अगर हम देश की सबसे बड़ी सरकारी बेंक स्टेट बेंक ऑफ़ इण्डिया की बात करे तो 2011 में SBI में FD का रेट 9.25% सालाना हुआ करता था| जो गटकर 2015 में 8% हो गया था| जो आज 2021 में कम हो कर केवल 5% पर आ गई है| औसतन बात करे तो सालाना 0.40% की FD की व्याज दरो में कमी आई है| इसका मतलब केवल 10 सालो में FD के रेट लगभग आधा हो गया है| लेकिन उसके सामने महंगाई बढती जा रही है|
हम अगर महंगाई की बात करे तो पिछले महीने खुदरा महंगाई दर 5.3% देखने को मिली थी| और अगस्त में मांगे दर 6.67% थी| इसका मतलब यह हुआ की बेंको में जमा पैसो के ऊपर जो हमें व्याज मिल रहा है उससे ज्यादा महंगाई है| इसलिए रिटर्न का पैटर्न नेगेटिव दिख रहा है|
आपको हम आसान भाषा में समजाते है| बेंक में फिक्स डिपोजिट का दर 5% मान लो और महंगाई दर औसतन 6% मान लो| इसका मतलब यह होता है की, अभी एक चीज की कीमत 1 लाख रुपये है और आपके पास 1 लाख रुपये है| वह 1 लाख रुपये आप उस चीज को खरीदने की बजाय बेंक में FD करवाते है, जिसका रेट 5% है, तो 1 साल बाद आपको 105,000 रुपये मिलेंगे| अब वाही चीज आप एक साल बाद खरीदने जाओगे तो महंगाई की वजह से उसकी कीमत 106,000 रुपये हो गई होगी, क्युकी महंगाई दर 6% है| इसलिए आपको 1000 रुपये का नुकसान हो सकता है|