कही किसान आज कर्ज के निचे दबे हुए हे वही कुछ किसान आधुनिक खेती करके भारी मुनाफा भी कमा रहे हे. आर्गेनिक, बागायती, फल- फूल, पोलीहॉउस मे खेती करके कुछ किसान भारी कमाई कर रहे मगर आज हम मोतियों की खेती के बारे में जानेगे, जहा एक प्रोफेसर ने नौकरी छोड के शरू की मोती की फार्मिंग और आज लाखो मे कमा रहे हे.
केरल के कासरगोड के जेके मठचंद सऊदी अरेबिया की किंग फहद यूनिवर्सिटी मे मिनरल्स टेलीकम्युनिकेशन के प्रोफ़ेसर थे। वहां उनकी मुलाकात मोती उत्पादित संबंधित डिप्लोमा अभ्यास चला रहे एक व्यक्ति के साथ हुई. उनको मिलने के बाद मोती की खेती को लेके उनकी रूचि बढने लगी. उन्होंने यह डिप्लोमा कोर्स ज्वाइन करने की सोची और फिर नौकरी छोड के 6 महीने वह डिप्लोमा कोर्स किया और मोती की खेती कैसे होती हे उसके बारे मे बारीकी से जाना.
मठचंद ने उनका कोर्स खत्म करके भारत आने का मन बनाया और आते ही मोती की खेती करने का सोचा। मठचंद महाराष्ट्र और पश्चिम घाट की नदी से सीप लाकर बाल्टी में उसकी खेती करने का काम चालू किया। शुरुआत के 18 महीने में उन्होंने 50 बाल्टी में मोती खेती की और तब से उनके व्यापार में बढ़ोतरी हो रही है। आज उन्होने डेढ़ लाख के खर्चे मे एक तालाब में खेती करने का शुरुआत किया। और शुरुआती साल में ही उनको 4 से 5 लाख के मोती बेचे। आज मठचंद देश और विदेश में मोती बेच के लाखों की कमाई प्राप्त कर रहे हैं।
मोतियों की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी ट्रैंनिंग लेनी चाहिए जो सरकारी और प्राइवेट ट्रैंनिंग सेण्टर से मिलेंगी. अगर आप बडे पैमाने पे मोती की खेती करना चाहते हो तो, आपके पास तालाब और अछि कोलिटी के सिप होना जरुरी हे. तालाब बनवाने के लिए सरकारी सब्सिडी भी मिलती हे. जाल मे सीपियों को बांध कर १२ से १५ दिनों तक तालाब मे डाल दिया जाता हे, तालाब न हो तो आप बडी टंकी का उपयोग भी हे, जिससे वह कुदरती वातावरण मे तैयार हो सके. उसके बाद सीपियों को बहार निकाल कर उनकी सर्जेरी की जाती हे, और सीप के अंदर एक साँचा बनाया जाता हे. उसी सांचे के अंदर सिप एक के बाद एक लेयर बनाके मोती बनाते हे. भारत में पर्ल फार्मिंग ट्रेनिंग के लिए सरकारी प्रशिक्षण केंद्र है सीआईएसए जो भुवनेश्वर उड़ीसा में उपस्थित है। ग्रामीण युवाओं किसानों और छात्रों को मोती उत्पादन पर तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करता है।