किस्मत एक चीज है जो कब किसको क्या बना दे कोई भरोसा नहीं है।किस्मत का ताला कब खुल जाये क्या पता इसलिए हमें हररोज महेनत करनी चाहिये। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे है जिसपे किस्मत बहुत महेरबान हुई है। हमें यकीं है के ऐसा आपने कई बार सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं। वैसे तो दुनिया में बहुत सारे भाग्यशाली लोग हैं, लेकिन कुछ खास लोग इतने भाग्यशाली होते हैं कि हमें तो क्या उन लोगो को भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं होता है। ऐसा ही एक बहुत ही भाग्यशाली व्यक्ति है रत्नाकर पिल्लई। केरल के 66 वर्षीय रत्नाकर पिल्लई की किस्मत से सबको जलन होगी।
रत्नाकर पिल्लई ने एक लॉटरी टिकट खरीदा जिसके बाद उन्हों 6 करोड़ रुपये की लॉटरी लग गई। लेकिन बात यहाँ नहीं रुकी अब इस महाभाग्य का चमत्कार इतना नहीं था कि अब एक और खज़ाना उसके हाथ में पड़ गया। रत्नाकर पिल्लई लॉटरी से जीते हुए पैसो से तिरुवनंतपुरम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर किलिमनूर में एक खेत खरीदा। वह इस खेत में शकरकंद की फसल लेना चाहता था। उसके लिए जब उसने खेत में खुदाई शुरू की तो उसने जमीन के अंदर कुछ ऐसा देखा कि उसे अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था।
खेत जोतते जोतते पिल्लई को एक घड़ा मिला जिसमें कई प्राचीन मुद्राएं थीं। जानकारी के मुताबिक यह मटका करीब 100 साल पुराना था। इसके अंदर 2,595 प्राचीन सिक्के रखे गए हैं। जब इन सिक्कों का वजन किया गया तो इनका वजन 20 किलो 400 ग्राम था। लेकिन हैरानी ककी बात यह है के ये सभी सिक्के तांबे की धातु से बने हुए थे। लोगो का कहना है के ये सिक्के त्रावणकोर साम्राज्य के हैं।
सिक्के मिलने के बाद उन्हें जांच के लिए लैब में भेजा गया। इन सिक्कों में भी जंग लग गया है। हां, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इन सिक्कों की कुल कीमत क्या है। विशेषज्ञ इसकी जांच के बाद ही सही मूल्य का अनुमान लगा सकता है। जानकारों के अनुसार इन सिक्कों का निर्माण त्रावणकोर के दो महाराजाओं के शासनकाल में हुआ था। पहले राजा का नाम मुलम थिरुनल राम वर्मा है जिनका शासन काल 1885 और 1924 के बीच रहा। एक और राजा है जिसका नाम चिथिरा थिरुनल बाल राम वर्मा है। उनका शासन काल 1924 से 1949 तक था। वह त्रावणकोर का अंतिम शासक भी था।