जाने कैसे दूरदर्शन ने भारत मे मनोरंजन खेत्र मे क्रांति ला दी. भारत की सबसे पहेली टीवी चेंनेल होने का खीताभ पाया, फिर से तजा कीजिये अपने बचपन की यादे।

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हम सब का बसपन का प्यार यानि दूरदर्शन: हम में से कही लोग हे जिनका बचपन दूरदर्श की धारावाहिक को देख ते हुए गुजरा हे. दूरदर्शन के साथ कही लोगो की बचपन की यादे जुडी हुई हे, हम आज दूरदर्शन का इतिहास बताने जा रहे हे, जो आपके लिए रोचक रहेगा. इसी क्रम में बात करें तो आज सूचना और मनोरंजन के क्षेत्र में नए चैनलों की भरमार सी लगी हुई है। मगर इसके पीछे देश की सबसे पहेली टीवी चैनल यानि दूरदर्शन के संगर्ष हे. जाने कैसे दूरदर्शन ने तकनीक के जमाने को पूरी तरह बदल दिया है।

तरक्की के इस युग में आपने कभी नहीं सोचा होगा कि आज के चैनल जो इतना प्रसिद्ध हो चुके हैं, वह हमारे बीच कैसे आए. अतीत के पन्ने पर दूरदर्शन का इतिहास टटोलते ही धुंधली सी यादें आंखों के सामने आने लगती है। एक वक्त था जब पूरे देश में एक ही चैनल हुआ करता था। लोग उसके कार्यक्रमों को हम मनोरंजन का सागर समझ कर उसमें गोता लगाया करते थे।आज के जमाने में प्रसारित होने वाले चैनलों का तो आजादी के बाद से सन 1990 के दशक तक वजूद भी नहीं था। वजूद था तो सिर्फ एक चैनल का और वह था दूरदर्शन।

विदेशों में टीवी चैनल बहुत पहले से आ चुके थे। मगर भारत आने में इसलिए थोड़ी देर कर दी क्युकी भारत मे किसी को यह पक्का नही पता था की टीवी को भारत में स्वीकृत किया जायेगा या नही। इसका पहला प्रसारण दिल्ली के शहरी इलाकों में 15 सितंबर सन 1959 को प्रयोग किया गया था। तब हर हफ्ते सिर्फ 3 दिन के लिए टीवी पर प्रसारण किया जाता था। वह भी आधे आधे घंटे के लिए अपने पहले प्रसारण से ही यह लोगों को बहुत पसंद आया और कुछ सालों के अंदर यह लोगों की आदत सा बन गया।

6 साल बाद 1965 में इसका प्रसारण रोजाना किया जाने लगा। यूनेस्को ने इसके लिए भारत को $20000 और 180 फिलिप्स के टेलीविजन सेट दिए। इसके बाद हर रोज 5 मिनट के लिए समाचार का बुलेटिन प्रसारित किया जाने लगा । शुरू के समय में दूरदर्शन का नाम टेलिविजन इंडिया हुआ करता था। सन 1975 में इसका नाम बदलकर दूरदर्शन रख दिया गया। शुरुआत में दूरदर्शन को सिर्फ 7 शेहरों में भी दिखाया गया ।उन दिनों दिल्ली में एक बड़ा ट्रांसमीटर लगाया गया था। जिससे दूरदर्शन का प्रसारण होता था ,साथ ही इसका प्रसारण देखने के लिए अलग-अलग जगहों पर अट्ठारह टेलीविजन सेट लगाएं गये तब लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या है और क्यों लगाया गया है।

कुछ ही सालो मे टीवी आम लोगो के घर पहोचने लगे, १९८० के बाद दूरदर्शन ब्लैक एंड वाइट से रंगीन हो गया. विक्रम साराभाई नेतृत्व मे सटेलाइट लांच किआ गया,जिसके बाद कुछ ही वक्त मे दूरदर्शन लोगो के घर घर पोहच गया. दूरदर्शन ने हमे हसाया भी हे, रुलाया भी हे, संगीत,समाचार, मनोरंजन से हमारा बचपन रंगीन किया हे. इस हफ्ते दूरदर्शन ६२ साल का हो गया, हमारा फर्ज बनता था की हम आपके समक्ष ऐसी खबर लेके आये जिसने भारत में मनोरंजन क्षेत्र में क्रांति ला दी. दूरदर्शन पे आपका मनपसंद कार्यक्रम हमे जरूर बताये.

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