अब पराली से बनेगी गैस और मिलेंगे पैसे, बायोगैस से दौड़ेगी गाड़िया, जाने कोनसे शहरो मे लगेंगे पंप

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सर्दी में कोहरा और फिर पराली का धुआँ जो हर साल लोगो को परेशान करता हे. आगे सर्दिया आने वाली है, और उत्तर भारत के लोग खेतों में पराली जलने पर और उससे होने वाले प्रदूषण की समस्या बढ सकती हे। सालो से इसके निजात पाने के लिए बाते होती हे मगर आज तक कोई ढोस कदम नहीं उठाये गए हे! लेकिन क्या आपको पता है की इस पराली और कचरे से बनी गैस से लोगों की गाड़ियां दौड़ेगी?

पराली से निजात पाने के लिए कही तरह के उपाय आजमाए जा रहे हे, कुछ किसान परली को खाद में तब्दील कर रहे हे उसके लिए वह वेस्ट डी कंपोजर का इस्तेमाल करते हे. वही अब नै टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बायोगैस तैयार किया जा रहा है। यह बायोगैस गाड़ियों में इंधन का काम करेगी। उत्तर भारत में दिवाली से लेके फरवरी तक के आसपास लोगों को ‘स्मोक फॉग’ की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसमें से एक वजह पंजाब ,हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पराली को जलाना होता है।

लेकिन इस बार पराली से बायोगैस तैयार की जाएगी और उसका यूज़ गाड़ियां चलाने में किया जाएगा। नोएडा की ग्रीन एनर्जी कंपनी नेक्सजेन एनर्जीया लिमिटेड पराली और कचरे से बायोगैस बनाने की प्रौद्योगिकी प्रक्रिया विकसित की है। जिसमें बड़ी मात्रा में जैविक खाद को प्रोसेस करके बायोगैस बनाने की पद्धति बनाई है। इस बायोगैस को कंप्रेस करके मशीनो के द्वारा सिलेंडर में भरा जाएगा और सीएनजी स्टेशन की बायो गैस पंप पर गाड़ियों में रिफिल किया जा सकता है। बायोगैस बनाने के लिए हरियाणा पंजाब के किसानो से बडी मात्रा में पराली खरीदने का आयोजन कंपनी का है।

कंपनीने हरियाणा के अंबाला में इसका प्लांट शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में जल्द ही इसी तरह के और प्लांट लगाने जाने वाले हैं। जिससे पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों से बड़ी मात्रा में पराली खरीदेंगें। पीयूष द्विवेदी जो नेक्सस जेन एजर्निया के एमडी है उन्होंने बताया कि कंप्रेस बायो गैस स्टेशन सबसे पहले जींद ,अंबाला, फतेहाबाद, खुर्जा और बागपतमें स्थापित किए जाएंगे  यहा अगले साल मार्च से काम शुरू किया जाएगा।

पराली से सीबीजी बनाने की दिशा में सबसे पहले इंडियन ऑयल अपने पैर घड़ा के आगे बढ़ चुकी है। कंपनी पंजाब सरकार के साथ इसके लिए एक एम ओ यू भी साइन किया हे। आईआईटी दिल्ली ने पराली से जुड़ी हुई समस्या से निपटने के लिए इससे डिस्पोजेबल बर्तन और कागज बनाने की तकनीक भी विकसित करी है जो जल्द ही सामने आएगी। पराली से फ़ैल रहे प्रदुषण को रोक ने के लिए लिए जा रहे ढोस कदम के चलते लग रहा हे की आने वाले कुछ सालो मे पराली जलाने की समस्या खत्म हो जाएगी साथ ही किसानो को इसे फायदा भी होगा.

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