आज कल डिजिटल पैसो का लें दें बढ़ गया है| पिछले कुछ सालो से डिजिटली पैसे ट्रान्सफर करने की संख्या में बहोत बढ़ोतरी देखनेको मिली है| आज के समय में कोई भी कार्य के लिए आप पैसे अपने खाते से सीधा अन्य के खाते में बेंक जाए बिना ही भिजवा सकते है| कई बार लोगो से गलती से अपने पैसे दुसरे व्यक्ति के खाते में चले जाते है, जिसे वह जानता भी नहीं है। ऐसे में जिस व्यक्ति के खाते में पैसे गलती से आ जाते है उसकी बल्ले बल्ले हो जाती है।
अचानक किसी के बैक खाते में लाखों रुपये आ जाए, तो यकीनन वह खुशी से उछल पड़ेगा. ऐसा ही कुछ हुआ था पिछले साल महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के पैठण तालुका के रहने वाले ज्ञानेश्वर ओटे के साथ. जब उसके जन धन बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा हो गए थे. ज्ञानेश्वर को लगा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना चुनावी वादा पूरा कर रहे हैं। इसलिए सरकार ने उसके खाते में पैसे भेजे हैं। यहां तक कि उन्होंने फौरन प्रधानमंत्री को एक धन्यवाद पत्र भी लिख दिया।
9 लाख में बनवाया नया घर
इसके बाद ज्ञानेश्वर ने अपना घर बनाने के लिए अपने बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से 9 लाख रुपये निकाल लिए,लेकिन 6 महीने बाद किसान का सपना उस वक्त टूट गया, जब उनके बैंक ने उन्हें नोटिस भेजा कि उनके खाते में गलती से बड़ी राशि जमा हो गई है. इसके अलावा बैंक ने उसे पूरी राशि वापस करने के लिए कहा है. बात यहां तक जा पहुंची है कि पैसे के लिए बैंक लगातार किसान पर दबाव बना रहा है. उधर नोटिस को लेकर परेशान किसान का कहना है कि वो इतनी भारी-भरकम रकम कहां से जुटाएगा.
ज्ञानेश्वर का कहना है कि उन्होंने पैसा केवल इसिलए खर्च किया कि उन्हें लगा कि यह उनके खाते में पीएम मोदी के द्वारा भेजा गया है. वैसे उन्होंने 15 लाख में से बचे हुए 6 लाख वापस कर दिए हैं. मगर 9 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया है, जिससे उन्होंने अपना घर बनवाया है.
गलती से हुआ ट्रांसफर पैसा
जानकारी के मुताबिक पैसों को ज्ञानेश्वर ओटे के खाते में ट्रांसफर करने के बजाए उसे वास्तव में विकास उद्देश्यों के लिए पिंपलवाड़ी ग्राम पंचायत को आवंटित किया गया था. लेकिन गलती से वो किसान के खाते में चले गए. चार महीने के बाद ग्राम पंचायत को मालूम चला कि यह पैसा ज्ञानेश्वर के खाते में आ गया है, जिसके बाद बैंक ने उसे नोटिस भेजा।