बिहार की राजधानी पटना से एक दिल को छू लेने वाला मामला सामने आया है। बतादे के यहाँ पुल निर्माण निगम में काम करने वाले सहकर्मी ने अपने साथ काम कर रहे है एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को एक अनोखी विदाई देकर मिसाल पेश कर दी है। 40 वर्षों तक एक ही विभाग में काम करने के बाद चतुर्थवर्गीय कर्मचारी लाल बाबू ने अपने विदाई समारोह को शाही बनाने के लिए कुछ ऐसा किया जिसकी यादें ताउम्र बनी रहेंगी।
बिहार सरकार के पुल निर्माण निगम के सफाईकर्मी लाल बाबू पिछले 40 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे थे। मंगलवार को उनका दफ्तर में उनका आखिरी दिन था। नौकरी करते हुए यह शौक मन में था कि ऑफिस का अंतिम दिन ऐसा हो कि बस यादगार बन जाए. बस इस दिन को मैंने यादगार बना दिया। अपने विदाई समारोह को यादगार बनाने के लिए लाल बाबू ने हाथी, ऊंट और एक दर्जन घोड़े मंगवाए थे। बैंड-बाजे के साथ दफ्तर से घर तक 2 किलोमीटर तक शाही अंदाज में यात्रा निकाली। पटना के बड़े बैंड वाले को भी बुलाया गया था। साथ ही ऑर्केस्टा की टीम को बुलाया गया था।
बतादे के इस जुलुस को देखने के लिए सड़कों पर लोग उमड़ पड़े। बताद के लाल बाबू ने अपनी विदाई को यादगार बनाने के लिए 1 लाख रुपए खर्च किये थे। लाल बाबू ने खुद ये सारे पैसे ख़र्च किये औऱ अपने विदाई समारोह को यादगार बना दिया। लाल बाबू ने बताया कि 40 साल अब ऑफिस वाले, घर वाले, और बाहर वाले सभी मेरे इस रिटायरमेंट को याद रखेंगे। लाल बाबू ने खुद की फोटो खिंचवाई और पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी करवाई।
लाल बाबू ने पूरे कार्यक्रम को बारात जैसा लुक दे दिया। खुद घोड़ी पर बैठे और गले में गेंदा फूल की माला डाल ली। लाल बाबू ने विदाई समारोह का बैनर भी बनवाया और अपनी विचारधारा भी उस पर अंकित करवाई. आंबेडकर का बड़ा सा फोटो उस पर लगवाया. पुल निर्माण निगम के पटना स्थिति ऑफिस से यह विदाई यात्रा निकली तो लोग देखते रह गए। स्थानीय लोगों और पुल निर्माण निगम के कर्मचारी भी लाल बाबू के विदाई समारोह को याद रखेंगे।