यह तो हम सभी जानते है के दुनिया में एक सिर्फ माँ ही होती है जो अपने बच्चो के लिए कुछ भी करने को तैयार होती है। माँ अपने बच्चो को बहुत तकलीफो के बावजूद भी बच्चो की परवरिश के लिए कोई कमी नहीं छोड़ती है। लेकिन बच्चे जब बड़े हो जाते है तब वो माँ से दूर चले जाते है। उनको अपने माँ के ऐसे बलिदानो की कीमत नहीं होती है।
आज कलियुग के समय में बहुत सारे बेटे ऐसे होते है जो अपने माँ बाप को वृध्राश्रम में छोड़कर आ जाते है। लेकिन इसे बढ़कर एक हैरान कर देने वाला किस्सा सामने आया है। बतादे के इस घोर कलियुग में एक कलयुगी बेटे की माँ बीमार थी तो वह माँ के इलाज के अस्पताल तो गया ही नहीं है लेकिन माँ का देहांत हो गया तो माँ का शव लेने के लिए भी नहीं गया।
मध्य प्रदेश के खंडवा में एक महिला का शव तीन दिन से अस्पताल की मरच्युरी में अंतिम संस्कार के इंतजार में है। उन्हें बेटे के हाथ से मुखाग्नि तो दूर अपनों से कफन तक नसीब नहीं हुआ। पुलिस चार दिन से उनके अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया के लिए लगातार बेटे और परिवार वालों से फोन पर संपर्क कर रही है।
बेटे ने वक्त की कमी का हवाला देकर अंतिम संस्कार करने से ही इनकार कर दिया। परिवार के दूसरे लोग भी उनके अंतिम संस्कार के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। यह दर्दभरी दास्तां यवतमाल जिले के वणी गांव में रहने वाली 55 साल की पुष्पा की है।
पुष्पा बेटियों के साथ रह रही थीं। सन्नी वणी में ही रहता है और वह ट्रेवल्स कंपनी में एजेंट है। मोघट पुलिस के अनुसार जब उन्होंने बेटे को फोन करके मां के अंतिम संस्कार के लिए खंडवा बुलाया तो उसने कहा कि मैं नहीं आ सकता। मुझे कोई मतलब नहीं। मेरे पास इतना समय नहीं है।बिना पोस्टमार्टम करवाए अभिषेक पुष्पा का शव वहीं छोड़कर चला गया।