सरपंच बनते ही कोटवार की बेटी ने घर पहुंच बनाई पंचायत

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गांधी जी ने पंचायती राज का सपना देखा था| पटपरपाली गांव की महिला सरपंच ने इस सपने को साकार करने का फैसला कर लिया है| महिला सरपंच अपने गांव के लिए ऐसे ऐसे कार्य कर कही है कि, हमें सुनकर हेरानियत होगी|

पटपर पाली गांव की कोटवार की बेटी जो आज सरपंच बन गई है| वह अपने गांव की पंचायत का राज ऐसे चला रही है| जो सही मायनों में जनसेवा ही कही जाएगी| इस गांव में अगर किसी को तकलीफ हो तो, उसे पंचायत घर नहीं जाना होता| बस सरपंच को फोन ही करना होता है और महिला सरपंच, पंचायत लेकर जरूरतमंद के घर पहुंच जाती है| इस प्रणाली को देखकर क्षेत्र के आजू-बाजू के गांव के सरपंच भी इसका अनुकरण कर रहे हैं|

महिला सरपंच का नाम विमला पांडे है| उन्होंने सिर्फ चौथी तक की ही पढ़ाई की है| उन्होंने शादी के बाद गृहिणी जीवन भी अच्छी तरह से निभा रही है और अपने बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी अच्छी तरह से निभाई है| उन्होंने बताया कि सरकार के आरक्षण से उनको सरपंच बनने का मौका मिला|

उन्होंने अपने गांव में 4 महीनों में ही 1000000 रुपए से अधिक विकास कार्य करवाए हैं| वहीं अन्य पंचायतों में 4 महीनों में एक भी रुपए का काम नहीं हो पाया है|

इस पंचायत को चलती पंचायत भी बुलाया जाता है| क्योंकि यह पंचायत एक जगह बैठकर नहीं लगती| बल्कि हर एक घर जाकर पंचायत लगती है| सरपंच जहां बैठ जाती है| वहां भीड़ जुट जाती है| इसी बीच लोगों की समस्या भी सुनी जाती है और उनके निराकरण भी लाए जाते हैं| इस गांव की जनसंख्या 15 सौ है| जिसमें से 60 फ़ीसदी आबादी सवर्णों की है| लेकिन इस गांव में कभी भी भेदभाव की छाया भी नहीं पड़ी है|

ऐसी सरपंच हमारे देश के हर एक गांव में होनी चाहिए| जिससे हमारे देश के हर एक गांव का विकास हो और हर एक गांव में सुविधाएं पहुंचे| आशा करते हैं, हमारे देश के युवा हमारे देश की ऐसी मिसाले देखकर, देशको आगे ले जाएंगे|

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