देश की मध्यस्थ बैंक यानि के भारतीय रिज़र्व बैंक देश के सभी सहकारी और प्राइवेट बेंको पर अपनी निगरानी रखती है। अगर कोई भी प्राइवेट या सरकारी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा बनाये गए किसी भी प्रावधनों का उल्घंन करती है तो भारतीय रिज़र्व बैंक उस बैंक पर कार्यवाही करती है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया किसी भी सरकारी या प्राइवेट बैंक पर बैंकिंग अधिनियम का पालन न किये जाने पर उस पर जुर्माना भी वसूल कर सकती है।
पिछले कुछ दिनों में देश में ऐसे 3 मामले सामने आये है जहा पे बेंको ने बैंकिंग अधिनियम के मूल्यों का पालन नहीं किया तोह रिज़र्व बैंक ने उन बेंको को जुर्मना लगाया था। आपको बतादे के इन 3 बेंको में आरबीएल बैंक,जम्मू-कश्मीर राज्य सहकारी बैंक लि. और मुंबई की अपना सहकारी बैंक शामिल थे। यह तीनो बेंको पर रिज़र्व बैंक में जुरमाना वसूल किया है।
सबसे पहले आपको आरबीएल बैंक द्वारा तोड़े गए किस्से के बारे में बताने जा रहे है। आरबीएल बैंक ने सहकारी बैंक के नाम पर पांच बचत खाते खोलने और बैंक के निदेशक मंडल की संरचना शामिल थे। रिज़र्व बैंक ने आरबीएल बैंक को नोटिस जारी कर पूछा था कि उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं करने और बैंकिंग नियमन अधिनियम के प्रावधानों को तोड़ने पर आरबीएल बैंक पर जुर्माना लगाया जाए। रिज़र्व बैंक ने आरबीएल बैंक के पास जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान उसकी दलीलें सुनने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा के नियामकीय अनुपालन में खामियों तथा बैंकिंग नियमन अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
रिजर्व बैंक ने अपने अन्य बयान में बताया के जम्मू-कश्मीर राज्य सहकारी बैंक लि., श्रीनगर पर भी बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 के तहत कुछ प्रावधानों के लिए उल्लंघन करने पर उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले दिन में RBI ने दो और बैंकों पर गैर अनुपालन को लेकर आर्थिक जुर्माना लगाया. इन बैंकों में जम्मू-कश्मीर स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और मुंबई स्थित अपना सहकारी बैंक शामिल है. जम्मू-कश्मीर स्टेट कोऑपरेटिव बैंक पर 11 लाख और अपना सहकारी बैंक पर 79 लाख रुपये जुर्मना लगाया गया.
आरबीआई ने तीनों बैंकों पर जुर्माना लगाए जाने का कारण बताया के यह तीनो बेंको ने बैंकिंग अधिनियमों का उल्लंघन किया था और रिज़र्व बैंक का एक ही उद्देश्य अपने ग्राहकों के साथ बैंक द्वारा किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला करना नहीं है।