वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है इसके कारण नदी की लहरों ने कई घाटो को आगोश में ले लिया है. इसमे हरिश्चंद्र घाट भी गंगानदी के पानी से भरकर सराबोर बन गया है इसके चलते दूर दराज से अंतिम संस्कार करने आये लोगो को गलियों में शवदाह करना पड़ रहा है. इससे न केवल शवयात्रियों, बल्कि इस इलाके के लोग भी काफी परेशान मालूम पड रहे है. गलियों में शवदाह होने के कारण हालात इतने ख़राब हो गए है के धुएं और राख से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों की खिड़कियों को भी ईंट से चुनवाकर बंद करा दिया है.

वाराणसी के गोपाल प्रसाद कहते हैं कि जगह की कमी के कारन गली में शवदाह करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद हरिश्चंद्र घाट पर अभी तक कुछ बदलाव आया नहीं है वह पहले के जैसा है. बाढ़ से बचने के लिए घाट किनारे ही शवदाह के लिए के ऊँचा प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए था. उन्होंने बताया की गलियों में शवदाह होने के कारण इलाके के लोगों को धुएं और राख से काफी तकलीफ हो रही है.
हरिश्चंद्र घाट पानी में डूबने के कारण गली में शवदाह करने के लिए लोगों को बहुत इंतजार करना पड़ रहा है. बिहार आए एक बुजुर्ग ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि पैसे भी पूरे लग गए और गली में शवदाह के लिए दो घंटे इंतजार करना पड़ा. गुंजन चौधरी जो शवदाह वाली गली में ही रहने वालेने है उन्होंने तो धुएं और उड़ती राख से बचने के लिए अपने मकान की दो खिड़कियां ईंट-सीमेंट से चुनवा दिया. वे बताते हैं कि ऐसा वे हर साल करते हैं ये कोई नई बात नहीं है।