हमारा देश कृषि प्रधान देश है, लेकिन किसानों की स्थिति किसी से छुपी नही हे। उनकी आय को लेकर लगातार बहस होती रहती है, कि किस तरह उन्हें बढ़ाने का प्रयास किया जाए। इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी हे जो अपनी कड़ी महेनत से कमियाभी हासिल करते हे और दुसरो के लिए उदाहरण पेश करते हैं। थोडा सा टेक्नोलॉजी का और थोड़ा टाइम मेनेजमेंट के साथ खेती की जाए तो आपकी महेनत का रीटर्न लाखो करोडो मे मिल सकता हे.
यह कहानी राजस्थान के जालोर जिले के किसान योगेश जोशी की है। ग्रेजुएशन करने के बाद उनके परिवार के लोग चाहते थे की योगेश सरकारी नौकरि करे. योगेश पढाई लिखाई में भी अव्वल थे. लेकिन योगेश का ज्यादा मन खेती में लगता था, वह खेती से जुडे बिज़नेस करना चाहते थे जिससे वो किसानो की मदद कर पाए। अब उन्होंने मन बना लिया था कि वह आगे खेती ही करेंगे। और उन्होंने यह भी तय किया हुआ था कि वह ऑर्गेनिक खेती की और आगे बढंगे।
ग्रेजुएशन के बाद उनके पिता और चाचा ने उन पर सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए बहुत दबाव डाला। लेकिन योगेश उनके मक्कम इरादो से टस से मस नहीं हुए. उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा मे एडमिशन ले लिए, और बोहत ही अच्छे मेरिट के साथ डिप्लोमा पूरा किया. साल 2009 में उन्होंने खेती-बाड़ी की शुरुआत की। वह आर्गेनिक खेती करना चाहते थे, मगर जिस जगह से वह आते हे यानि जालोर में पानी की कमी होने से सब्जिया,फल-फ्रूट की खेती मुश्किल थी. पहले चरण में उन्हें निराशा हाथ लगी।
उसके बाद उन्होंने रिसर्च किया कि कौन सी खेती से ज्यादा मुनाफा मिलता है। फिर उन्हें पता चला कि जीरे की खेती कम पानी से हो सकती हे और जमीन के नमूने लैब भिजवा के मिट्टी की तकनिकी जाँच करवाई.उसके बाद योगेश जोशी ने 4 बीघा जमीन में जीरे की खेती शुरू की शुरुआत के साल में उन्हें मुनाफा खास नहीं हुआ और निराशा हाथ आई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने तकनीक का सहारा लिया और जैविक खेती के अनुसार जीरे की खेती को बढ़ा ते गए। आज वह एक रैपिड ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी के मालिक है। उनके साथ 3200 के आसपास किसान जैविक खेती में जुड़े हैं। माना जाता हे की सालाना टर्नओवर ५० करोड से भी ज्यादा हे. योगेश जी के हार न मान ने वाले जज्बे को हमारा सलाम.