शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में कर्म का फल देने वाले देवता मन जाता हैं जो की शुभ कर्मो का शुभ फल एवं अशुभ कर्मो का अशुभ फल प्रदान करते हैं। जब शनिदेव किसी की कुंडली या राशि में शुभ फल देने वाले होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन को वेग मिलता हैं। लेकिन कभी कभी शनि देव कुछ कुछ राशियों में अशुभ स्थान पर होते हैं ऐसे में वो उस राशि की शिक्षा, करियर एवं बिज़नेस से जुडी परेशानिया प्रदान करते हैं। कुछ लोगो के स्वस्थ्य को भी यह असर करते हैं।
कहते हैं की जब किसी व्यक्ति की राशि में शनि की ढैय्या चल रही हो तब व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए। वर्तमान समय में मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की ये दशा व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देती है।
इस वर्ष शनि देव 29 अप्रैल 2022 में अपनी राशि बदलेंगे। शनि मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे। इस राशि में शनि के गोचर शुरू करते ही मिथुन और तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। परन्तु 5 जून को शनि वक्री हो जायेंगे और वक्री अवस्था में 12 जुलाई से अपनी पिछली राशि मकर में फिर से गोचर करने लगेंगे। इस राशि में शनि के पुन: गोचर से मिथुन और तुला जातक फिर से शनि की ढैय्या की चपेट में आ जायेंगे। शनि 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे इसके बाद कुंभ राशि में वापस आएंगे। तब जाकर मिथुन और तुला राशि के लोगों को शनि ढैय्या से पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी।
अगर आप या आपके नजदीकी कोई भी व्यक्ति इन दोनों रशियो के जतलक हैं तो घभराने की कोई जरुरत नहीं हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसके कुछ उपाय दिए गए हैं जिसे करने से आपका जीवन सरल हो जायेगा।
- इस समय के दौरान शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए। शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए।
- इस समय के दौरान परिश्रम करने वालों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए।
- शनि की ढैय्या के बुरे प्रभाव से बचने के लिए गरीबों व जरूरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए।
- इस समय में जातक को विशेषरूप से दान पुण्य के कार्यों में रूचि लेनी चाहिए।
- इस दौरान धोखा मिलने के आसार ज्यादा रहते हैं इसलिए इस दौरान सतर्कता से काम लेने की सलाह दी जाती है।