जाने कोन हे रतन टाटा के साथ साये की तरह देखने को मिलता यह लडका?  शांतनु की कहानी जान के आप भी रहे जायेंगे दंग

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दुभारत ही नहीं पर दूनिया के दिग्गज उद्योगपतियों में से एक यानि की रतन टाटा अपने काम और सादगी भरे जीवन के लिए साथ ही करोडो के डोनेशन के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं. रतन टाटा ने अपने जीवन मे नही शादी की नहीं उनका कोई बच्चा हे. हल ही मे रतन टाटा ने अपना 84वां जन्मदिन मनाया. उनके बर्थडे का एक वीडियो काफी सुर्खिया बटोर रहा हे जहा वह एक लड़के के साथ बैठे हुए हे और एक छोटा कप केक काटते हुए नजर आ रहे हैं. साथ मे खडा लडका जैसे उनके कंधो पर एक बेटे की तरह हाथ रखा दिखाई देता हे. फिर वह रतन टाटा को कपकेक का एक टुकड़ा खिलाता है. इसी विडिओ के वायरल होते ही यह लड़का सुर्खीयो मे छाया हुआ हे और हर कोई जानना चाहता हे की यह लडका आखिरकार हे कोन?

यह लडका रतन टाटा का काफी खास माना जाता हे और इसके पीछे की कहानी भी काफी इंटरेस्टिंग हे. आइये जानते हे इस लड़के की कहानी, इस लड़के का नाम शांतनु हे. शांतनु ने 2014 में टाटा समूह में एक कर्मचारी के रूप में अपनी नौकरी की शरुआत की थी. इस दौरान एक दिन सड़क पर उसने आवारा कुत्ते की मौत देखी या मारा हुआ कुत्ता देखा, और उसका ध्यान गया की लाखो कुत्ते सड़को पर रोजाना मारे जाते हे. शांतनु घटना के परिणामस्वरूप काफी परेशान था और उसने एक कदम उठाने का फैसला किया ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके।

शांतनु ने कुत्तो को बचने के लिए रिफ्लेक्टर के साथ एक कॉलर बनाया, ताकि ड्राइवर कुत्ते को दूर से देख सकें। फिर शांतनु ने कॉलर को आवारा कुत्तों के गले मे बांधना शरू किया। और धीरे धीरे इसका रिजल्ट देखने को मिला कुत्तो की जान बचने लगी. इस नेक काम नई बोहत लोगो ने प्रशंशा की पर हजारो कुत्तो को कल्लोर लगाना महँगा साबित हो सकता था और उसके लिए शांतनु के पास पैसे नहीं थे. तभ उनके पिता ने उन्हें रतन टाटा को एक पत्र लिखने की सलाह दी. शांतनु ने बताया की पहले वह झिझक रहे थे. लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि कोशिश करने मे क्या जाता हे और उन्होंने रतन टाटा को पत्र लिख दिया.

दो महीने बाद रतन टाटा की तरफ से पत्र का जवाब मिला जिसे देख वह चौक गए थे उनको उम्मीद नहीं थी की रतन टाटा उनका पत्र पढ़ेंगे भी. जब शांतनु ने पात्र देखा तो उसमे लिखा था, वह उनके यह नेक काम से खुश हे और वह शांतनु से मिलना चाहते हे. जब वह पहेली बार मिले तो रतन टाटा ने उनकी तारीफ की साथ ही उनके कुत्तो से भी मिलवाया और रतन टाटा ने उनके यह नेक काम के लिए धनराशि भी दी. जिसके बाद उन्होंने पुणे में 300 कुत्तों को कॉलर के साथ शुरुआत की और 20 शहरों बंगलौर, दिल्ली और गोवा को कवर करने वाले 4000-5000 कुत्तों को यह कॉलर लगाया गया.

रतन टाटा ने एक दिन शांतनु को बुलाया और कहा की क्या तुम मेरे पर्सनल असिस्टेंट बनना चाहोगे तो शांतनु इस जॉब के लिए मना नहीं कर पाए. तब से रतन टाटा और शांतनु कही जगह पर साथ मे दीखते हे. दोनों के बिच की बॉन्डिंग देख के ऐसा लगता हे जैसे कोई रिश्तेदार या अपने बेटे के साथ रतन टाटा गुम रहे हो. शांतनु ने बताया की वह पिछले 18 महीने से रतन टाटा के साथ काम कर रहे हे और उनको आज भी विश्वास नहीं हो रहा की उनको रतनजी के साथ काम करने का मौका मिला हे. उनके मुताबित रतन टाटा के साथ काम करना यानि एक मित्र, एक बोस एक मेंटर या देश और दुनिया की ऐसी हस्ती के साथ काम करना हे जैसा कोई होही नहीं सकता। रतन टाटा के द्वारा निवेश किये कही स्टार्टअप शांतनु देखते हे और साथ ही रतन टाटा के पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर काम करते हे.

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