किसान का बेटा और गोल्ड मेडलिस्ट सूबेदार नीरज चोपड़ा रिपोर्टिंग सर
जैसा कि आप जानते हैं नीरज चोपड़ा भारत के लिए गोल्ड मेडल लाने में कामयाब रहे है. पिछले 100 सालों में भारत एथलेटिक में गोल्ड मेडल नहीं मिला था जिसका इंतजार नीरज चोपड़ा ने आज खत्म किया है। नीरज चोपड़ा ने अपना ही नहीं पर पूरे देश का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। टोक्यो में आज पहली बार भारत का राष्ट्रगीत बजा जब नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया। आज हम आपको बताएंगे नीरज चोपड़ा की ऐसी कहानी जो शायद ही आपने सुनी होगी या किसी ने आपको बताई होगी।
नीरज चोपड़ा का जन्म 1997 में हरियाणा के पानीपत के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता पेशे से किसानी करते थे नीरज चोपड़ा बहुत ही साधारण से परिवार से उभरे हुए हीरे हैं। नीरज के शुरुआत या कहे तो बचपन बहुत मुश्किलों से गुजरा था। उनका परिवार आर्थिक तौर पर इतना मजबूत नहीं था। मगर नीरज में बचपन से ही कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी। वजन ज्यादा होने से वह परेशान थे क्योंकि उनको भारतीय आर्मी में जॉब चाहिए थी। नीरज बचपन से ही आर्मी में जाने का सपना देखते थे और देश के लिए कुछ कर गुजरने की जज्बा रखते थे।
नीरज चोपड़ा पढ़ाई के साथ-साथ अपने आप को मजबूत बनाने के लिए कसरत करने लगे। उनका जज्बा देखकर वहां खड़े एक स्टेट लेवल एथलीट्स ने बताया की तुम्हे भाला फेक में अपना हाथ आजमाना चाहिए भाला फेक एक ऐसा गेम जो तुम बहुत अच्छे से कर पाओगे। नीरज चोपड़ा ने योगा और कसरत के साथ-साथ भाला फेंकने की शुरुआत की। देखते ही देखते वो स्टेट फिर नेशनल लेवल के चैंपियन बन गए। पोलैंड में भाला फेंकने की प्रतियोगिता हो रही थी जिसमें भारत की ओर से नीरज को भेजा गया था नीरज ने वहा 84 मीटर भाला फेंक के गोल्ड मेडल हासिल किया। और इसके बाद नीरज को आर्मी से जॉब ऑफर हुआ नीरज यह बचपन से सपना देखते थे अफसर बन ने का उनको राजपूताना रायफल मे सूबेदार की जॉब मिल गई।
2018 मे इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियन गेम्स का आयोजन हुआ जिस मैं नीरज ने 88 मीटर तक भाला फेक के गोल्ड मेडल जीता था। शनिवार का दिन जैसे भारत के लिए एक सुनहरा मौका लेके आया हो, वैसे फाइनल में नीरज चोपड़ा का पाकिस्तान और जर्मनी के सबसे मशहूर स्पर्धक के सामने अपना फाइनल राउंड खेलना था। जब भी भारत के सामने पाकिस्तान होता है तो कोई भी गेम गेम नहीं रह जाता बल्कि एक जंग बन जाता हे और नीरज वैसे भी आर्मी बैकग्राउंड से आते हे। शायद यही बातो ने नीरज मे एक ताकत भर दी और नीरज ने पहले राउंड में 87 मीटर तक भाला फेका और अपने आप को मेडल का सबसे बड़ा दावेदार साबित कर दिया। नीरज के बाद उनके प्रतिबंधी नीरज से ज्यादा भाला फेक करने की कोशिश की मगर वो नाकाम रहे। और ऐसे नीरज को गोल्ड मेडल मिला। वही पाकिस्तानी स्पर्थक चौथे नंबर पर रहे। उन्होंने बताया की वह नीरज को अपना गुरु मानते हे, शायद यह बात मेरे देश वाले पसंद न भी करे।
नीरज के गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही भारत मे चारो और जश्न का माहौल फैल गया कहीं पटाखे फूटने लगे कही मिठाइयां बट ने लगी यह माहौल क्रिकेट में मिले वर्ल्ड कप से भी ज्यादा ही दिख रहा था।वही राजपूताना रायफल में भी जश्न का माहौल था आर्मी मैं उनके बटालियन में भी आज एक दूसरे का मुंह मीठा किया। उनके घर पर भी लोगो की काफी भीड़ दिखी जो बधाई देने आई हुई थे। नीरज आगे भी देश का नाम ऐसे ही रोशन करते रहे।
