आलोक सागर का जन्म देल्ही मे हुआ, दिल्ली के पढ़े लिखे और अमीर परिवार ताल्लुक रखते थे। उनके पिता सरकारी अधिकारी थे और माता भी प्रोफेसर थीं। आलोक पढने मे होशियार थे। उन्होंने IIT दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पूरी की थी फिर एम.टेक. किया था। वह उच्च शिक्षा और पीएचडी करने के लिए अमेरिका गए, जहा उनहोने होस्टोन university से phd ली। अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद, उनके पास अमेरिका में अपना करियर बनाने का अवसर था और कोई क्यू इतना अच्छा देश छोड ना चहेगा। मगर देश भावना लिए वह भारत वपास आए।
उनको पढाने का शौख था जिसकी वजह से वो IIT दिल्ली के अध्यापक बने। माना जाता हे की उनहोने भारतीय रिजर्व बैक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जैसे बोहत से होनहार लोगो को पढा चुके हे। मगर वह इस काम से भी सन्तुष्ट नही थे, वह भारत मे सुदुर एरिया मे अशिक्षित लोगो को देख परेशान थे। ये सब देखते हुए उन्होंने प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया, और गरीबों की सेवा और शिक्षण के प्रचार करने के लिए निकल पडे।
वह गुमते हुए मध्य प्रदेश के बैतुल और होशंगाबाद के आदिवासी एरिया मे पोहचे। माना जाता हे की उन्होने हजारो पेड़ लगाकर पर्यावरण सुधार लाए, और वहा के बच्चो को पढाना चालू किया। कुच लोग जहा थोडी कामयाबी मे अहंकार से भर जाते हे वही अलोक जी इतनी सिद्धिया हासिल करने के बाद भी साधारण ज़िंदगी जि रहे हे। इनको देख के कोई नही कहेगा की अलोक जी IIT से पडे लिखे और USA छोड के भारत आ गए हो, मगर जब उनसे बात की जाए तो उनके ज्ञान की गहेराई का पता चलता हे।
माना जाता हे की वह यहा पे बच्चों को शिक्षा देते हे. यहा के लोगो को उहोने कभी भी अहेसास नही होने दिया की वह इतने पडे लिखे हे। पोलिस को उनकी गती विधिया संधिग्न लगने की वजह से उनहोने जाँच की और वह भी उनकी हकिकत जानके हेरान रह गए, और उसके बाद ही उनकी असली पहेचान सब के सामने आई। अलोक जी जैसे जमीन से जुडे लोग आज भी एसे विस्तार मे शिक्षण का काम आगे बडा रहे हे। अगर अलोक जी की कहानी आपको पसंद आई हो तो प्रतिक्रिया देके हमे जरूर बताये.