Uttar Pradesh के पीलीभीत जिले में अब पानी की बर्बादी को माना जाएगा अपराध, नियम तोड़ा तो…

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गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है। भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए भी लोग पानी का बचाव नहीं करते हैं। ऐसे में शासन और प्रशासन द्वारा पानी की बर्बादी को लेकर नियम कानून बनाए जा रहे। अब प्रदेश में पानी बर्बाद करना भी अपराध माना जायेगा।

पानी बचाव के लेकर हर दूसरे दिन सरकार नए-नए अभियान चलाती है। इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई नियम भी बनाए गए। गर्मियों के आते ही बेवजह पानी बहाने वालों की अब खैर नहीं। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिला में प्रशासन द्वारा पानी बर्बाद करने पर अपराध मानकर जुर्माना लगाए जाने की घोषणा भी कर दी गई है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के मात्र 8 जिलों में करीब 263 करोड़ लीटर पानी रोजोना इस्तेमाल होता है।

पीलीभीत जिला प्रशासन ने घोषणा की है कि ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर पानी की बर्बादी अब राज्य में अपराध माना जाएगा। इस तरह के कदम की घोषणा करने वाला पीलीभीत राज्य का पहला जिला बन गया है। अधिकारियों ने कहा कि नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना जल्द ही तय किया जाएगा।

जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि प्रशासन जिले में यूकेलिप्टस के रोपण पर भी प्रतिबंध लगाएगा क्योंकि यह बड़ी मात्रा में भूजल को अवशोषित करता है। बता दें कि प्रदेश की 653 स्थानीय निकायों में से 622 में पेयजल की आपूर्ति पूरी तरह से भूजल पर ही निर्भर है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भूजल पानी बर्बाद करने पर एनजीटी द्वारा पर्यावरण संरक्षण एक्ट के तहत 1 लाख रुपये और 5 साल तक जेल का नियम है। यदि कोई पानी बर्बाद करता है तो एनजीटी के तहत एक्शन लिया जा सकता है।

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