अगर आप किसी दोष, रोग या भय से मुक्ति पाना चाहते है तो आपको काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. काल भैरव की पूजा करना बहोत कठिन होता है. आपके कभी सुना नहीं होगा काल भैरव की पूजा विधि के बारेमे. आज हम आपको इस लेख में काल भैरव के व्रत और पूजा विधि के बारेमे जानकारी देने जा रहे है. अगर आप किसि भय या दोष से मुक्ति पाना चाहते है तो यह लेह पूरा पढ़े.
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी भी कहते है. इस दिन काल भैरव का व्रत रखा जाता है. कालाष्टमी का विशेष महत्त्व होता है. आपकी जानकारी के लिए बतादे की काल भैरव भगवान शिव के रूप है. कालाष्टमी के दिन व्रत रखने से भय से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य प्राप्त होता है. आपके शत्रु आपसे दूर रहते है और कभी भी आपको भय महसूस नहीं होता है.
काल भैरव को दंडपानी भी कहा जाता है. इसके पीछे भी कारण है. काल भैरव के हाथ में त्रिशूल, डंडा और तलवार होने की वजह से उन्हें दंडपानी कहा जाता है. भगवान काल भैरव का व्रत आप रखते है तो कई तरह के लाभ होते है. काल भैरव का व्रत रखने के लिए आपको कालाष्टमी के दिन उपवास करना होगा और यही दिन सबसे श्रेष्ठ दिन माना जाता है. आइये जानते है पूजा विधि के बारेमे.
काल भैरव मंदिर जाकर वहा पर श्री भैरव चालीसा का पाठ करे और मंदिर में सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, पुए या फिर चलेबी चढ़कर सच्चे मन से प्राथना करे. काल भैरव के समक्ष सरसों के तेल का दिया जलाए और काल भैरव का पाठ करे. उसके बाद अलागातर 40 दिनों तक काल भैरव के दर्शन करने के लिए जाए आपको भैरव की कृपा मिलेगी और आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी.