DRDO डीआरडीओ ने सिर्फ 45 दिनों में बना दी सात मंजिला इमारत, जाने किस वजह से शरु किया AMCA प्रोजेक्ट? भारत कर रहा हे यह बडी तैयारी

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जैसा की आप जानते हे पूरी दुनिया मे युद्ध का माहौल बना हुआ हे. यूक्रेन और रशिया के बिच छिडी जंग ने पूरी दुनिया को अपने देश की सुरक्षा के लिए सोचने के लिए मजबूर कर दिया हे. हाल ही मे रक्षा मंत्रालय ने 8357 करोड के उपकरण खरीद ने के लिए भी हरी जंडी दे दी हे. इसी बिच DRDO का करनामा चर्चा का विषय बना हुआ हे. डीआरडीओ ने सिर्फ 45 दिनों के अंदर एक सात मंजिला इमारत का निर्माण किया है और इसे बनाने के पीछे बोहत बड़ी वजह जुडी हुई हे.

DRDO इस ऑफिस का इस्‍तेमाल 5वीं जनरेशन के एडवांस्‍ड मीडियम कांबेट एयरक्राफ्ट के रिसर्च और डेवलेपमेंट के लिए करेगा, यहाँ पर टीम बनाई जाएगी जो ५ वि जनरेशन के एयरक्राफ्ट बनाने के लिए रिसर्च करेगी। इस इमारत का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। भारत ज्यादातर ऐरफ्राफ्ट और फाइटर जेट बहार से लता हे जिसे देश मे ही बनाने के लिए रिसर्च की जरुरत पडटी इसी श्रेणी मे एक कदम आगे बढाके भारत ने इस ऑफिस का निर्माण किया हे.

डीआरडीओ ने पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट एडवांस्‍ड मीडियम कांबेट एयरक्राफ्ट के प्रोटोटाइप बनाने के लिए मैटल शीट काटने की शुरुआत करने का एलान किया था। इसकी जानकारी डीआरडीओ ने अपने ट्विटर पर डाल के साजा की थी. लड़ाकू विमान का वजन जितना काम हो उतना इफेक्टिव रहता हे इस लिए DRDO ऐसा विमान बनाना चाहता जिसका वजन कम हो, रफ्तार ज्यादा हो और जिसमें दुश्‍मन से खुद को छिपाकर दुश्‍मन पर सटीक और जबरदस्‍त हमला कर सके।

भारत के एयर फाॅर्स को मजबूत करने मे ऐसे लडाकू विमान महत्व की भूमिका दे सकते हे और भारत का एयर फाॅर्स गरेलु विमानों के साथ और ताकतवर बन सकता हे. इस प्रोजेक्‍ट के लिए शुरुआती लागत करीब 15000 करोड रुपयेकी हे। आपको बता दे की दुनिया के गिने चुने देशों के पास ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल है। यह प्रोजेट पब्लिक प्राइवेट जवाइंट वेंचर पर आधारित है जिसमें डीआरडीओ, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और निजी कंपनी भी शामिल है। उम्मीद करते हे की भारत को इस दिशा मे कमियाभी मिले और भारतीय सेना को मेड इन इंडिया एयरक्राफ्ट मिल सके. जय हिन्द।।

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