99% लोगों को नहीं पता होगा कि शिवजी क्यों पहनते थे बाग की खाल, इसके पीछे छुपी हुई पौराणिक कथा

Devotional

देवो के देव महादेव भोलेनाथ हिमालय में अपना जीवन जीते थे। सालो तक तपस्या मे रहते थे और एक साधु का जीवन जीते थे। भगवान शंकर का पहेरवेश या रूप भी काफी अलग था। वह दूसरे देव और भगवान की तरह मुगत या सोने के आभूषण नही पहनते थे। मगर उनके गले मे सांप रहता वही वह राख से अपने बदन को ढकते थे और शेर की खाल का आसान पसंद करते थे। भोलेनाथ भाग की खाल क्यों पहनते थे उसके पीछे भी एक धारणा मानी जा रही है।

जैसा कि आप जानते होंगे विष पीने के बाद उन्होंने अपने गले में वासुकी के नाम के सांप को धारण किया था। उसी तरह से बाघ की खाल पहन ने के या उसको आसन मे लेने कि भी एक पौराणिक कथा है। आइए जानते है इसके पीछे छुपी हुई पौराणिक मान्यता। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसीह अवतार लिया था। नरसीह अवतार यानी आधा शेर का और आधा इंसान का और इसी के चलते उन्होंने हिरण्यकश्यप को मार दिया था।

नरसीह अवतार बेहद क्रोध से भरा हुआ माना जाता था। जब भगवान विष्णु इस अवतार को वश मे करने के लिए या कहे तो उनको शांत करने के लिए देव अपने सारे प्रयत्न कर चुके थे मगर उनको कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ से विनती की वह विष्णु अवतार नरसिंह को क्रोध को शांत कराया भगवान शिव ने नरसीह अवतार को शांत करने के लिए वीरभद्र नाम का अवतार लिया। जब नरसीह अवतार उनकी बात नहीं माने तो, वीरभद्र अवतार या नी की गरुड, सीह और मनुष्य का मिश्रित अवतार था उन्होंने नरसीह भगवान को अपने पंजे में उठाकर हवा में उडने लगे और अपनी अपनी चोच से नरसीह भगवान के सर पर वार करने लगे।

जब नरसीह भगवान घायल हो गए तब उन्होंने अपना शरीर के ऊपर की खाल त्यागने का तय किया और तब नरसिंह भगवान ने भगवान शिव से निवेदन किया कि वह उनकी शरीर की खाल अपने आसन के रूप में स्वीकार करें उसके बाद भगवान विष्णु भगवान अपने अवतार में आ गए और शेर की खाल भगवान शिव ने अपने आसन के तौर पर स्वीकार की इसीलिए शिवजी बाघ की खाल के साथ देखे जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *