99% लोगो को नहीं पता होगा के हाथ पर कलावा क्यों बांधा जाता है, जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक और पौराणिक महत्व.

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किसी भी पूजा, हवन या शुभ अवसर पे हाथोमे कलावा बंधा जाता हैं। कोई भी मंदिर या बाबा के पास चले जाओ सबसे पेहले आपको कलावा बंधा जाता हैं। कलावा बांधने की परंपरा काफी पुरानी भी हैं। कई जगहों पे कलावो के अलग अलग कलर देखे जाते हैं ज्यादातर कलावे लाल, पिले या काळा रंग के देखे जाते हैं।

पूजा-अर्चना के बाद विधिवत बांधे गए कलावे में कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा या दैवीय शक्तियां होती हैं। हाथ में कलावा बांधने से ये सकारात्मक ऊर्जा  नकारात्मक ऊर्जा एवं बुरी नजर से हमारी रक्षा करती हैं। इसीलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं की अलग-अलग रंग के कलावा बांधने का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है।  मसलन पीले रंग का कलावा बांधने से बृहस्पति, लाल रंग से मंगल और काले कलावे से शनि ग्रह मजबूत होते हैं।

कलावे बांधने को लेकर एक कहानी प्रचलित हैं। जब भगवान विष्णु के वामन अवतार में सामने आने के बाद राजा बलि ने उनसे अपने साथ पाताल लोक में रहने का अनुरोध किया तब भगवान विष्णु पाताल में ही रहने लगे। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथ में कलावा बांधकर उन्हें भाई बना लिया और उनसे भगवान विष्णु को वापस मांग लिया।

पारंपरिक कहानियो से बढ़कर कलावा बांधने के कुछ वैज्ञानिक फायदे भी है। मनुष्य की कलाई में कई तरह की नसें होती है और जीवनशक्ति का परवाह करने वाली दो मुख्य नसे कलाई से फोकर जाती हैं। कलावा बांधने से इन नसों पर नियंत्रण रहता है। इसके कारण ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हृदय गति पर भी कंट्रोल रहता है। कहते हैं की कलावा बांधने से शरीर के त्रिदोष- वात्त, पित्त और कफ भी बैलेंस में रहते हैं।

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