भारत और पाकिस्तान आजादी से पहले एक ही देश हुआ करते थे। आजदी के बाद अलग अलग देश हो गए। दोनों देशो में बहुत समानता है। बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगो के रिश्तेदार दोनों देशो में है। दोनों देशो की सरहदे नजदीक होनी की वजह से ऐसे बहुत सारे किस्से सामने आते है के कई बार भारत से कई बार कई लोग बॉर्डर पार करके पाकिस्तान चले जाते है। ऐसा ही एक हिस्सा बिहार से सामने आया है।
बतादे के भारत और पाकिस्तान के बीच जितने भी जंगे हुई है उसमे भारत की ही विजय हुई है लेकिन जंग में भारत के जावन बॉर्डर के उस पार भी चले गए होते थे, फिर वैसे जवानो को पाकिस्तान की सरकार बंदी बना लेती थी। तो फिर भारत सरकार ने कुछ जवानो को वहा से वापिस लायी तो कुछ वहा की जेलों में अभी भी बंध तो कई जवानो ने तो वहा अपना दम तोड़ दिया था।
आज हम आपको किसी जवान के बारे में बताने वाले नहीं है बल्कि एक मासूम बच्ची के बारे में बताने वाले है जिसे पढ़कर आपको गुस्सा आएगा और आपकी आँखे नम भी हो जाएगी। बतादे के अमृतसर के अजनाला सेक्टर में रावी नदी के सटे हुए एक गांव बेदी छन्ना के रतन सिंह बताते हैं कि साल 1985 में जब परिवार खेतों में गया था तो उनका 7 साल का बच्चा नानक सिंह भी खेलते हुए वहां पहुंच गया और पाकिस्तान की सीमा पार कर दी।
बाद में पाकिस्तानी रेंजर्स से संपर्क किया गया तो उन्होने लौटाने से इंकार कर दिया और फिर थाना रमदास में सूचना दी गई तो पाकिस्तान की तरफ से उनकी कुछ भैंसे लौटाने के बदले नानक सिंह को भेजने की बात कही गई लेकिन यह गरीब परिवार ना भैंसे ढूंढ सकता था और ना ही नई भैंसे खरीद सकता था। इसलिए वो कभी वापस ही नहीं आया और बूढे़ मां-बाप अपने बेटे का इंतजार करते रह गए।
गांव वालों को भी समझ नहीं आता कि नानक सिंह को आखिर किस गुनाह की सजा दी जा रही है। जब वह सीमा पार गया तो सिर्फ 7 साल का था और 7 साल का बच्चा आतंकवादी तो नहीं हो सकता ना। परिवार ने भारत सरकार को कई पत्र लिखे लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई।