1971 की जंग मे रणछोड पगी ने पाकिस्तानी सेना के पसीने छुड़ा दिए थे भुज मूवी में संजय दत्त निभा रहे हैं उनका किरदार।

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1971 की जंग मे रणछोड पगी ने पाकिस्तानी सेना के पसीने छुड़ा दिए थे भुज मूवी में संजय दत्त निभा रहे हैं उनका किरदार।

रणछोड पागी एक ऐसा नाम जिसको सालो तक ढूंढती रही पाकिस्तानी सेना। रणछोड पगी ने अपना सर्वोत्तम योगदान 1965 और 1971 के युद्ध में भारत को पाकिस्तान के सामने जीत दिलाने मे दिया। आज अजय देवगन, संजय दत्त जैसे बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों की फिल्म आ रही है जिसका नाम है भुज प्राइड ऑफ इंडिया। यह मूवी में रणछोड पगी का किरदार संजय दत्त निभा रहे है। आइए जानते हैं रनछोड पगी की ऐसी बातें जिसको शायद ही किसी ने बताया होगा या शेर किया होगा।

आइए जानते हे रणछोड़ पगी की कहानी, पगी का जन्म 1901 मे पाकिस्तान के थारपारकर में हुआ था जो उस वक्त की सोडा जागीर हुआ करते थे। आजादी के बाद रणछोड़ पागी गुजरात के बनासकांठा में आंके बस गए। माना जाता है कि रणछोड़ पागी के पास पाकिस्तान में 300 एकड़ जमीन और 300 पशु थे। आजादी से पहले तत्व पाकिस्तान के थारपारकर गुजरात के कच्छ भुज बनासकांठा राजस्थान के बीकानेर जैसलमेर बाड़मेर जैसे विस्तार में सामान ढोने का काम करते थे अपने पशु पर सामान बांध के वह एक जगह से दूसरी जगह ले जाया करते थे। इसी की वजह से उनको या विस्तार का बहुत बारीकी से पता था। वह हर छोटे रास्ते जानते थे साथियों उनको पैरों के निशान देखकर कौन सा जानवर कौन सा इंसान किस तरफ गया है उसका सटीक अंदाजा लग जाता था यह भगवान की दी हुई अनोखी देन थी।

माना जाता है कि रणछोड़ पागी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते थे आजादी के बाद उनके साथ हो रहे जुल्मी याद से तंग आकर एक दिन उन्होंने पाकिस्तान की चौकी पर रहे 5 सेना के जवानों को बांधकर अपने पशुओं के साथ गुजरात की सरहद में आ गए थे और बनासकांठा में आकर उन्होंने निवास किया। यह एक सरिया सरहदी विस्तार था और पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव की वजह से 1962 में भारतीय सेना में उनसे मदद मांगी और उनको भारतीय सेना का एक पागी नाम का पद देकर भारतीय सेना में शामिल किया। उनका काम था कि सरहदी क्षेत्रों में हो रही सिलचर और जवानों को हथियार अपने जानवरों पर दो के घर पहुंचाने की जरूरत पड़ी तो या फिर रेगिस्तान में भटक गए जवानों को डॉन के लाना हो या फिर जंग के वक्त जवानों के लिए सबसे छोटा रास्ता ढूंढना हो यह सब काम छोड़ बाकी को सौपे गए।

रणछोड़ पागी की सरहद के उस तरफ भी अच्छे पहचान होने की वजह से पाकिस्तान में आते जाते रहते थे। पाकिस्तानी सेना ने कभी उन पर ध्यान नहीं दिया पाकिस्तानी सेना या तो उनको स्मगलर समझती थी या तो छोटा-मोटा व्यापारी जो इधर का सामान उधर करता हूं मगर हकीकत में रणछोड़ पागी भारतीय सेना के लिए काम करते थे। इसी बीच 965 में भारत और पाकिस्तान में जंग छिड़ गई। पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में घुसने लगी तब रणछोड़ पागी ने पाकिस्तानी सैनिक कहां पर छुपे हुए कितने हथियार हैं कितने दिन का राशन है यह सारी माहिती सटीक तौर पर भारतीय सेना को देते थे और साथ ही भारतीय सेना को सबसे छोटे रास्तों का लिए मार्गदर्शन देते थे जिससे भारतीय सेना कम से कम समय में पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला कर सके।

रेगिस्तान में भारी जंग शुरु थी भारत की एक टुकड़ी को हथियारों की भारी किल्लत हुई वहां पर हथियार मुहैया किया जाए ऐसा कोई साधन भारत के पास मौजूद नहीं था हथियार को उठाकर ही उनके पास पहुंचाया जा सकता था। ऐसे समय में भर्ती आर्मी को 1 फरवरी की याद आई फोकी से तुरंत ही बिना कुछ सोचे आपने उनको में बंदूकें और गोला बारूद हल्लांद के रेगिस्तान में निकल पड़े कुछ ही समय में वह भारतीय सैनिकों के पास गए और उनको जरूरी गोला बारूद पहुंचाया जिससे रीएनफोर्समेंट ना आ जाए तब तक वह अपनी पोजीशन संभाल के पाकिस्तान के सामने लड़ सके।

रणछोड़ पगी ने पाकिस्तान के 1200 सिपाइयो की जानकारी देके युद्ध अपने पक्ष मे ले लिया था। उनके योगदान अगले 50 सालो तक भारत को मिलते रहे इसी के रहते उनको 3 अवार्ड और पदक भी मिले। संग्राम सेवा मेडल, समर मेडल, पुलिस मेडल मिले हुए हे। पाकिस्तान ने पगी का सिर जो लेके आए उसके लिए भारी इनाम की भी घोषणा की थी इससे पता चलता हे की पगी का खोफ पाकिस्तान मे कितना रहा होगा।

पगी 114 साल तक हमारे बीच रहे, 2013 मे उन्होंने अपने अंतिम स्वास लिए। मार्नोप्रांत पगी के नाम पर बीएसएफ चौकी बनाई गई। वहा पर उनकी प्रतिमा भी बनाई गई हे और उस सरहद को आज रणछोडदास पगी के नाम से जानी जाती है। आज भूज फिल्म आ रही हे जिसमे पगी का किरदार संजय दत्त निभा रहे हे। हमे आने वाली पीढ़ी को ऐसे वीर योद्धा, बिना स्वार्थ के भारत के लिए मर मिटने वाले पगी की कहानी जरूर बतानी चाहिए। वंदे मातरम ।।

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