10 दिसंबर को ही जवान का 38वां जन्मदिन था। परिवार उसे बधाई देने और जन्मदिन मनाने को बेताब था। लेकिन उसके पहले ही उनके घर का चिराग बुझ गया। 37 वर्षीय भगवाना राम 2001 में 17 वर्ष की उम्र में पांचवी जाट बटालियन में भर्ती हुआ था। उसके ऊपर देश की सेवा करने का जुनून सवार था। वह हमेशा से आर्मी में भर्ती होना चाहता था।
आतंकी ऑपरेशन समाप्त होने के बाद जवान भगवाना राम 7 दिसंबर को छुट्टी लेकर अपने गांव आने वाला था। उसे 10 दिसंबर को भान्जे की और 11 व 12 दिसंबर को ससुराल की एक शादी में शामिल होना था। यदि वह जिंदा होता तो शादी में परिवार के साथ खुशियां मना रहा होता। लेकिन अफसोस की ऐसा नहीं हो सका।
हम अपने घरो में शांति से बैठ सके उस लिए हमारे देश के जवान हमारी सुरक्षा के लिए दिन-रात लगे रहते हैं।जवानो की जिंदगी आम लोगो जितनी आसान नहीं होती। हम अपने घरो शांन्ति से सौ सके उस लिए देश के जवान उनके घर से दूर बॉर्डर पर हमारी सुरक्षा के लिए तैनात रहते है। कई बार हमे सुरक्षित रखने के लिए वह खुद शहीद हो जाते हैं। अब राजस्थान के सीकर जिले के इस जवान को ही ले लीजिए। भगवानाराम नेहरा नाम का यह जवान धोद के दुगोली गांव का रहने वाला था।
बतादे के शहीद जवान भगवानाराम अपने परिवार के इकलौता बेटे थे। उसकी दो बहने हैं। वहीं उसका पांच साल का इकलौते बेटा भी है जो पिता के शहीद होने के बाद बहुत दुखी है। जवान की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। बूढ़े माता- पिता अपने बेटे का शव अपनी आँखों के सामने देख बहुत रोए। जवान के शव को देख परिवार का रो-रोकर बहुत बुरा हाल था।
शनिवार 4 दिसंबर को वह जम्मू कश्मीर के बारामुला में लच्छीपुरा पहाड़ी पर आतंकियों की तलाशी अभियान में शामिल था। यहाँ पहाड़ी से गिरने की वजह से उसका निधन हो गया। पोस्टमार्टम करने के बाद जवान के पार्थिव शरीर को उसके पैतृक गांव रवाना किया गया। यहां सोमवार को उसका अंतिम संस्कार हुआ।
बरहाल हम भगवान से जवान भगवाना राम की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं। हमारी सहानुभूति और संवेदनाएं उनके परिवार के साथ है। ईश्व उन्हें इस दुख से उभरने की शक्ति दे।