खबरो मे कही गोटाले सुर्ख़ियों मे रहे हे और उनके आँकंडे भी करोडो मे रहे हे। फिर चाहे वह बोफ़ोर्स गोटाला हो, २ g कांड, कोयला, या सत्यम। खबरो की माने तो यह गोटाले हजारो करोड के रहे हे। हमने रिश्वत के मामलो मे भी कही खबरे सुनी हे जहा पे अफसरो के घर से करोडो रूपिये मिले हे। मगर आज हम जिस गोटाले की बात कर रहे हे उसमे मात्र ३१ रुपये के लिए कंडक्टर ने अपनी नौकरी खो दी.
कुछ सालो पहले कंडक्टर ने एक ही टिकट को बार बार जारी किये और ३१ रुपये का घोटाला किया था, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी से निकाला गया था. उन्होंने कोर्ट मे याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई कुछ समय पहले आई हे, मगर कोर्ट ने भी उन्हें राहत नहीं दी है. नौकरि जाने की वजह से कंडक्टर ने कोर्ट में याचिका दी हे. कोर्ट में यह याचिका लंबे समय से चली और अब कोर्ट ने भी उनको रहत नहीं देने का मन बना लिया हे. कोर्ट ने दो नो पक्षो की बात सुनी और कोर्ट ने बताया की मामले की गंभीरता देखते हुए इस मामले मे कोई ढील देना ठीक नही.
कोर्ट ने बताया की घोटाले की राशि छोटी हो सकती हे, पर विश्वासघात और धोकाधडी अपराध हे जिसे माफ नहीं किया जाना चाहिए. कंडक्टर चेल्लादुरई उपयोग टिकट फिरसे दूसरे यात्री को दे रहे थे और इसी दौरान चेकिंग निरीक्षक ने उन्हें रंगेहाथ पकड लिया था. जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकला गया था. उन्हें १९९१ में नौकरी से निकला गया था. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ लेबर कोर्ट में अपील की थी, लेकिन कोई राहत नही मिल पाई थी। फिर 2013 में वह मद्रास हाई कोर्ट गए मगर वह भी उनके हाथ निराशा ही लगी.
इस किस्से से एक बात तो तय हे, घोटाला चाहे ३१ रुपये का हो या ३१ करोड का, घोटाले बज कोर्ट की नजर में गुन्हेगार ही हे, और उसको उसी के हिसाब से कोर्ट से सजा मिलती हे.