विक्रमादित्य: पिता का बदला लेने के लिए बना दिया था धरती का सबसे बड़ा साम्राज्य

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विक्रमादित्य इतिहास मे पराक्रमी राजा हो गए, जिनको बैतालिस पच्चीस और सिंहासन बत्तीसी कि हजारे कहानी यो से आज भी भारत मे बच्चा बचा जनता हे। उन्होंने अखंड भारत पे राज किया शायद दुनिया का सबसे बडा साम्राज्य। ईरान से लेके आज के इंडोनेशिया तक उनका साम्राज्य फैला हुआ था। आइए जानते है वह कोनसी बात रही थी जिस वजह से 2100 साल पहले विक्रमादित्य ने इतना बडा साम्राज्य खडा कर दिया था।

2500 वर्ष पूर्व ईरान के शकों के आतंक से कई राजा काफी परेशान थे, अपने शायद शक सावंत का नाम सुना होगा वह इन्हीं के नाम से आया है और विक्रमसंवत राजा विक्रमादित्य के नाम से आया। शक रणनीति के तहत अपना साम्राज्य और सत्ता कायम करके भारत के कहीं प्रदेश जीत रहे थे, फिर वह आज का अफ़ग़ानिस्तान हो या पाकिस्तान मे मौजूद तक्षशिला हो। उन्होने बैक्ट्रिया नाम के एक राज्य को जीत लिया जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा मे था या आधा अफ़ग़ानिस्तान, और उसके बाद भारत की सीमाओं से अन्दर घुसने लगे, उन्होंने पुष्पकलावती और तकशिला पे धावा बोल उनको अपने साम्राज्य मे कर लिया। उसके बाद उनकी हिम्मत भारत पे आक्रमण करने की हुई। उसके बाद उन्होंने उज्जियनी पर आक्रमण किया और फिर वहां शक संवत की शुरुआत की.

तब वहा के राजा महेन्द्रादित्य का शासन था, जो राजा विक्रमादित्य के पिता थे. उज्जैन पर अधिकार होने के बाद राजा महेन्द्रादित्य बहुत दुखी हुए अपने आप को अपमानित समाज रहे थे। यह देखते हुए विक्रमादित्य बडे हुए। उन्होंने अपने पिता का बदला लेने के लिए थान लिया। महाकाल के भक्त और माता हरसिद्धि के उपासक विक्रमादित्य ने जंगलों में रहकर भैरव सेना बना डाली। जो किसी से नही डरती थी ना मौत से इसलिए उनको कल का दूसरा रूप माना जाता था। उन्होने मालवा पे हमला किया और अपने पराक्रम से मालवा से राजा बने।

फिर क्या था अब उनके पास एक स्थाई राज्य आ चुका था, जहा से वह शको पे धावा बोल सकते थे। उन्होने पहले चोट मोटे हमले करके शकों की छावनी नस्ट करदी और अपने राज्य को मजबूत किया। देखते ही देखते उन्होंने मालवा प्रदेश से शकों का अंत करके विक्रम संवत की शुरुआत की. यहां उन्होंने अखंड भारत कि निव रखी और प्रण लिया कि सम्पूर्ण भारत से शकों को समूल नष्ट करेगे या उन्हें भारत से भगा देगे. उन्होंने भैरव सेना कि कुछ करते हुए भोलेनाथ की नगरी वाराणसी के कुंभ में शकों पर आक्रमण करके उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। और फिर उज्जैन को बारी आई। पिता के अपमान क बदला लेते हुए उज्जैन के राजा बने। यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई आगे की पोस्ट मे हम आपको बताएंगे कि कैसे विक्रमादित्य ने अपने पिता क बदला लेते लेते दुनिया की सबसे शक्तिशाली फौज और साम्राज्य खडा कर दिया और कैसे भारत से सभी हमलावर को भगा दिया। हमे उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी पसंद आई होगी और आप इसे शेयर करेंगे!

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