ये हैं गेहूं की 5 सबसे नई उन्नत किस्में, एक हेक्टेयर में 82 क्विंटल तक होगा उत्पादन, किसानों को मिलेगा भरपूर मुनाफा

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गेंहू हमारे देश के लिए बहोत ही जरुरी है| हमारे देश की आबादी को खाना खिलाने के लिए गेंहू ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है| गेंहू की खेती हमारे देश में बहोत होती है| रवि सीजन की यह सबसे ज्यादा होने वाली खेती है| लेकिन दिनबदिन खेती में महंगाई बढती जा रही है| इसलिए किसानो को ज्यादा मुनाफा देन्हू में नहीं रहता| आज कम कुछ ऐसी गेंहू की फफसले लाये है इनको अपनाने से गेंहू की पैदावार बढ़ जायेगी| भारतीय गेंहू एव जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के मुताबिक गेंहू की नै 5 किस्मे आई है जो बम्पर उत्पादन देती है| पांचो किस्मो के बारेमे आपको जानकारी दे रहे है|

करण नरेद्र: यह गेंहू की सबसे नै किस्म है| इसे DBW-222 भी कहा जाता है| इसकी बुआई 25 अक्तूबर से 25 नवम्बर के बिचमे होती है| इसकी खोज 2019 में की गई थी| इसमें सिंचाई सिर्फ 4 बार करनी होती है जबकि अन्य किस्मो में 5 से 6 बार करनी पड़ती है| इसकी कटाई 143 दिनों में आ जाती है और इसका उत्पादन प्रति हेक्टर 65 से 82 क्विंटल तक मिलता है|

करण वंदना: इस किस्म को मजबूत माना जाता है| क्युकी सीमे पिला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बिमारिया कम लगती है| इस किस्म को DBW-187 के नामसे भी जाना जाता है| इस किस्म की कटाई केवल 120 दिनों में आ जाती है| नदी के तटीय जगहों के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती है| पैदावार की बात करे तो इसमें प्रति हेक्टर आपको 75 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है|

पूसा यशस्वी: यह किस्म गेंहू में नयी मानी जाती है| कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाको में इसकी पैदावार अच्छी मिलती है| इसमें फफूंद और गलन रोग कम आते है| इसी बुआई 5 नवम्बर से 25 नवम्बर तक करी जाती है| इसका उत्पादन प्रति हेक्टर 57 से 80 क्विंटल तक मिलता है|

करण मिश्रा: यह किस्म सबसे नयी है| इसकी खोज जून 2021 में करी गई है| उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पंश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए बनाया गया है| इसकी कटाई 127 दिनों में आ जाएगी| इसकी सिंचाई की बात करे तो इसको सिर्फ 1 सिंचाई की जरुरत होती है| इसमें पैदावार आपको 55 क्विंटल प्रति हेक्टर तक मिल सकती है|

DDW 47: इस किस्म में प्रोटीन की मात्र सबसे ज्यादा होती है| इसमें 12.69% प्रोटीन होता है| यह रोगों के सामने लड़ने में बहोत सक्षम मानी हाती है| इसके उत्पादन की बात करे तो यह 75 क्विंटल प्रति हेक्टर तक का उत्पादन दे सकती है|

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