मिस यूनिवर्स का खिताब सिर्फ यू ही नहीं मिलता इसके लिए सुंदरता के साथ साथ भारी सूझबूझ भी चाहिए। इसमें भी किसी इंटरव्यू की तरह प्रश्न पूछे जाते हैं और उसके उत्तर पर लोगों की वोटिंग या जज का निर्णय तय होता है। तो हर कोई समझता हो कि सिर्फ सुंदर महिलाएं ही यह खिताब जीत सकती है तो यह बिल्कुल गलत है। यह खिताब जितने के लिए अलग-अलग कई पैमाने अपनाए जाते हैं।
फाइनल राउंड में टॉप तीन प्रतियोगिताओं से पूछा गया था कि आप दबाव का सामना और रही महिलाओं को क्या सलाह देना चाहती हो। इसका जवाब देते हुए हरनाज संधू ने बहुत समझदारी दिखाई और उन्होंने बताया कि दबाव झेल रही किसी भी स्त्री को ऐसा मानना होगा कि वह सबसे अलग या यूनिक हे और वही खूबी उनको दूसरो से अलग बनाती है। आपको आगे आकर आपके हक के लिए बोलना होगा क्योंकि आपकी जिंदगी के संचालक आप खुद हो।
हरनाज का ऐसा शानदार जवाब सुनकर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी इससे पता चल चुका था कि वरना सपने दोनों प्रतियोगिताओं से आगे चल रही है। फाइनल राउंड में हरनाज के साथ साउथ अफ्रीका और पराग्वे की महिलाएं थी जिन को पीछे छोडते हुए हरनाज ने मिस यूनिवर्स का ताज अपने नाम किया और अपने परिवार के साथ साथ पूरे देश का नाम रोशन किया।
हरनाथ पंजाब के गुरदासपुर के एक छोटे से गांव से आती है माना जाता है कि उनका परिवार किसानी करता है। हरनाज का यह सफर बेहद खास और प्रेरणादाई रहा है। 2000 की साल में जब लारा दत्ता मिस यूनिवर्स बनी तब हरनाज महेज 50 दिन की थी। जिस गांव में हरनाथ पैदा हुई वहां की आबादी मात्र 1400 के करीब है। इतने छोटे से गांव से निकलने के बाद भी हरनाज ने पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन किया है।